अयोध्या में बनने वाले श्री राम मंदिर की नींव को भी विंध्याचल की देवी अंबा की दिव्य शक्ति मिलेगी। अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की नींव को तैयार करने के लिए विंध्याचल से मजबूत चट्टानें आएंगी। आईआईटी के विशेषज्ञों की टीम ने भी राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों के मुकाबले नींव के लिए विंध्य पहाड़ियों के पत्थरों को ज्यादा मजबूत बताया है।
मंदिर की नींव में लगाए जाने से विशाल उत्तुंग मंदिर को कई सौ साल तक मजबूती मिलेगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि नींव के लिए करीब 60 फुट गहराई तक जमीन खोदकर आधार तैयार करना होगा। इसमें कंक्रीट और विंध्याचल के पत्थरों का इस्तेमाल होगा। अनुमान के मुताबिक, चार लाख घन फुट से ज्यादा पत्थर इसमें लगेगा।
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श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के अधिकारियों और मुख्य वास्तु विशेषज्ञ आशीष चंद्रकांत भाई सोमपुरा के मुताबिक, विंध्याचल की पहाड़ियों का पत्थर ना केवल मजबूती में उम्दा है बल्कि वहां से अयोध्या लाना भी आसान होगा। इसके अलावा वो अयोध्या के वातावरण के अनुकूल भी होगा। मंदिर की नींव में विंध्याचल के पत्थर और ऊपरी निर्माण भरतपुर के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर से होगा।
विंध्य पर्वतमाला से पत्थरों के खनन के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास सरकार और खनन व वन विभाग से सम्पर्क कर औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सूत्रों के मुताबिक, हैदराबाद से राष्ट्रीय भू भौतिकी संस्थान यानी NGRI की टीम ने भी काफी गहराई तक मिट्टी की जांच करने का काम शुरू कर दिया है।
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डॉक्टर आनंद पांडे और डॉ रत्नाकर धनखड़े की अगुआई वाली टीम भूमि परीक्षण के दौरान पूरे निर्माण क्षेत्र में अलग अलग कई जगहों पर भूमि के सख्त और मुलायम यानी हार्डनेस और सॉफ्टनेस का जायजा ले रही हैं।
वैज्ञानिक परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से नींव के लिए जमीन की खुदाई का काम शुरू हो जाएगा। न्यास ने दिसम्बर 2023 तक मंदिर निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 50 फीट गहराई तक खुदाई कर मलबा हटाने का काम होगा। क्योंकि पूरी भूमि पर प्राचीन मंदिर के अवशेष मिल रहे हैं।