उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) द्वारा बनाई जा रही AK-203 असॉल्ट राइफल (AK-203 Assault Rifle) अब अपने पूर्ण स्वदेशीकरण यानी 100% इंडिजेनाइजेशन के करीब है। कंपनी ने घोषणा की है कि दिसंबर 2025 तक यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। इस राइफल का भारतीय नाम शेर (Sher) रखा गया है। यह राइफल रूसी विश्वसनीयता और भारतीय आत्मनिर्भरता का संगम मानी जा रही है। यह परियोजना भारत की मेक इन इंडिया पहल के तहत देश की स्मॉल आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में बड़ी छलांग साबित होगी।
अमेठी प्लांट से हर साल 1.5 लाख AK-203 राइफलें बनेंगी
सूत्रों के मुताबिक, IRRPL का लक्ष्य है कि 2026 से यह फैक्ट्री हर साल करीब 1,50,000 राइफलें यानी 12,000 प्रति माह तैयार करेगी। इनमें से 1,20,000 राइफलें भारतीय सेना को दी जाएंगी, जबकि 30,000 राइफलें राज्य पुलिस, अर्धसैनिक बलों और निर्यात के लिए होंगी।
2025 के मध्य तक AK-203 के 50% पुर्जे भारत में ही बनाए गए हैं, और अब दिसंबर तक यह 100% स्वदेशी हो जाएगी। स्वदेशीकरण के बाद, IRRPL मित्र देशों को निर्यात की भी योजना बना रही है जो आधुनिक असॉल्ट राइफल की तलाश में हैं।
601,427 राइफलें भारतीय सशस्त्र बलों के लिए
सूत्रों के मुताबिक मौजूदा अनुबंध के तहत, IRRPL को भारतीय सशस्त्र बलों को कुल 6,01,427 AK-203 राइफलें (AK-203 Assault Rifle) देनी हैं। कंपनी की प्रोडक्शन स्पीड तेज है और अब यह दिसंबर 2030 तक सभी डिलीवरी पूरी करने की उम्मीद कर रही है, जो कि तय समय (अक्टूबर 2032) से लगभग दो साल पहले है।
AK-203 शेर राइफल की प्रमुख खासियतें
कैलिबर: 7.62×39 मिमी फायरिंग रेट: 700 राउंड प्रति मिनट रेंज: 400 मीटर प्रभावी, 800 मीटर अधिकतम वजन: 3.8 किलोग्राम (खाली) मैगजीन: 30 राउंड फायर मोड: सेमी और फुल ऑटोमैटिक साइट्स: नाइट विजन और ऑप्टिकल कंपैटिबल मैट ब्लैक फिनिश, जंग-रोधी कोटिंग फोल्डेबल पॉलिमर स्टॉक वार्षिक उत्पादन: 1.5 लाख राइफलें (2026 से)
भारत-रूस साझेदारी की मिसाल
अमेठी का यह प्रोजेक्ट भारत और रूस के रक्षा सहयोग का मजबूत उदाहरण है। यहां रूसी तकनीक को भारतीय इंजीनियरिंग और उद्योग के साथ जोड़कर पूरी तरह स्थानीय उत्पादन प्रणाली तैयार की गई है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
शेर राइफल का स्वदेशी उत्पादन भारत के लिए रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगा। यह न सिर्फ भारतीय सेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारत को आने वाले समय में आधुनिक हथियारों का निर्यातक देश बनने की राह पर आगे ले जाएगा।








