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सूर्योपासना का महापर्व छठ कल से नहाया-खाय के साथ शुरू

Writer D by Writer D
17/11/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, बिहार, राष्ट्रीय
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Kharna

chhath puja

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बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ कल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा।

सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंतःकरण की शुद्धि के लिए कल नहाय-खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे। श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।

महापर्व छठ को लेकर घर से घाट तक तैयारियां जोरों पर है। व्रती घर की साफ-सफाई के साथ व्रत के लिए पूजन सामग्री खरीदने में जुट गए हैं। कोई व्रती अपने घर में नहाय-खाय के लिए चावल चुनने में लगी हैं तो कोई छत पर गेहूं सुखाने में लगी हैं। छठ व्रतियों के लिये गंगा घाटों को साफ-सुथरा और सजाने के काम में विभिन्न इलाकों की छठ पूजा समिति और स्वयं सेवक भी लगे हुए है । इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गो पर तोरण द्वारा बनाये जा रहे है और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है।

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महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं । भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।

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परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है।

महापर्व छठ के कारण बाजार में कद्दू (लौकी) के भाव आसमान छू रहे हैं। राजधानी पटना में इसकी बिक्री तो 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक हो रही है। दरअसल नहाय-खाय के दिन व्रतधारी अरवा भोजन के साथ इसकी सब्जी ग्रहण करते हैं । इसी तरह आम की लकड़ी 40-70 रुपये किलो और शुद्ध घी 400 से 450 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है जबकि नारियल, सूप, फल और मिट्टी के चूल्हे की जहां जैसी मांग है, वहां उसी कीमत पर बिक रहे हैं।

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कोरोना काल में छठ पूजा मनायी जा रही है। राज्य सरकार ने इसके लिये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं को घाट पर अर्घ्य के दौरान तालाब में डुबकी नहीं लगाने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में घाटों के किनारे इस तरह बैरिकेडिंग करें कि श्रद्धालु पानी में डुबकी न लगा सकें। इनके अलावा छठ पर्व के दौरान 60 साल से अधिक उम्र व्यक्ति और 10 साल से कम उम्र के बच्चों तथा बुखार एवं कोरोना लक्षण से ग्रसित लोगों को घाट पर नहीं जाने की सलाह दी गई है। वहीं, इस बार छठ के अवसर पर न मेला लगेगा, ना ही जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

जिला प्रशासन को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह लगातार लोगों से अपील करते रहें कि इस बार वह घाटों पर ना जाकर छठ अपने घरों में ही मनाएं। इसके बाद भी यदि श्रद्धालु तालाब या घाटों पर छठ पर्व मनाने आते हैं तो वहां जिला प्रशासन द्वारा कोरोना वायरस दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन कराया जाए। साथ ही लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा गया है। इसके अलावा घाटों पर मास्क लगाना अनिवार्य है।

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