दशकों से प्रयागराज के उच्च न्यायालय में मल्टी लेवल पार्किंग और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की मांग लंबित थी। आज उन परियोजनाओं का शुभारंभ राष्ट्रपति के कर कमलों से हुआ है, यह प्रदेशवासियों के लिए सुखद पल है। यह बातें इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ परिसर में मल्टी लेवल पार्किंग, अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लोगों से कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी सत्र में इस वि.वि. का शुभारंभ करेंगे। प्रदेश में 599 न्यायिक कक्ष का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसमें 311 कक्ष पूर्ण रूप से बन चुके हैं। माननीय न्यायमूर्तियों के आवासीय व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार की ओर से 611 आवास स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से 247 तैयार हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि प्रयागराज स्थित उच्च न्यायालय, एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है। यहां जाम की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। आज मुझे प्रसन्नता है कि अधिवक्ताओं के 4,000 वाहनों के लिए मल्टीलेवल पार्किंग के साथ-साथ उनके लिए चैम्बर व अत्याधुनिक लाइब्रेरी का शिलान्यास सम्पन्न हुआ। कहाकि न्याय क्षेत्र में किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, आधुनिकीकरण, तकनीकी उन्नयन के लिए यूपी सरकार सतत सहयोग करेगी। कहा कि यह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, न्याय क्षेत्र में छात्रों व हमारी नई पीढ़ी को अध्ययन, अध्यापन का मंच उपलब्ध कराने के साथ ही शोध के अनेक अवसर देगा।
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इसके पहले वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गंगा, यमुना व सरस्वती की त्रिवेणी तथा धर्म, न्याय व शिक्षा की भूमि प्रयागराज पर हृदय से स्वागत व अभिनंदन किया। कहाकि आज का दिन प्रदेशवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब वर्षों से लंबित परियोजनाओं का शुभारंभ राष्ट्रपति के कर-कमलों से हुआ है।
कहा कि प्रत्येक जन को समय से न्याय उपलब्ध हो सके एवं उनकी आकांक्षाएं पूर्ण हो सके, इसके दृष्टिगत न्यायिक क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में यूपी सरकार प्रत्येक नागरिक के जीवन में खुशहाली लाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दौर डिजीटल युग है। कोरोना महामारी के दौरान हम लोगों ने तकनीक के इस महत्व को समझा है। आमजन को दी जाने वाली सुविधा हो या फिर सहजता और सरलता के साथ उन्हें न्याय उपलब्ध करवाने के लिए तकनीक का उपयोग किस रूप में कर सकते हैं, यह हम सब ने डिजिटल हियरिंग के माध्यम से ऑनलाइन दी जाने वाली उन सुविधाओं के माध्यम से महसूस किया है।
कहा कि प्रदेश सरकार ने अधीनस्थ न्यायालयों में डिजिटाइजेशन के लिए लगभग 70 करोड़ रूपये स्वीकृत किए हैं। माननीय उच्च न्यायालय के कंप्यूटर के के लिए 30 करोड़ रूपये अधीनस्थ न्यायालय में कंप्यूटर क्रय और अनुरक्षण के लिए 20 करोड़ रूपये और न्यायिक अधिकारियों के लिए नवीन लैपटॉप के लिए 18 करोड़ रूपये की राशि इस सम्बन्ध में राज्य सरकार ने पहले से ही स्वीकृत की है।