सन् 1928 में पं. मोतीलाल नेहरू ने अंग्रेजों के समक्ष अधिकारों के एक घोषणा पत्र की मांग की थी. यह मांग आगे भी विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों के माध्यम से की जाती रही. लिहाजा जब देश आजाद हुआ तो संविधान (Constitution of India) निर्माण के दौरान उसमें आम लोगों के अधिकारों की विशेष जरूरत पर बल दिया गया.
हमारा संविधान (Constitution) विभिन्नता में एकता के अलावा समानता, शिक्षा, जाति, वर्ग और लिंग भेद में समानता का अधिकार देता है. संविधान की मूल भावना में धर्मनिर्पेक्षता की भी प्रमुखता है लिहाजा धार्मिक स्वतंत्रता हमारे संविधान और देश की मूल पहचान है.लेकिन इनके अलावा संविधान में कई ऐसे अधिकार जोड़े गये हैं जिनके बारे में जानने की जरूरत है. देश के हर नागरिक को इन अधिकारों के बारे में जानना चाहिए और नियम के दायरे में उस पर अमल भी करना चाहिये. क्योंकि ये अधिकार नागरिकों की मूलभूत आवश्यकता और भावना को ध्यान में रखकर तैयार किये गये हैं.
समता का अधिकार
भारत जैसे देश में जहां विभिन्न जातियां रहती हैं वहां ऊंच-नीच के भेदभाव खत्म करने के मकसद सेसमता का अधिकार जोड़ा गया. इसका आशय सार्जनिक स्थलों मसलन दुकान, होटल, मनोरंजन स्थल, कुआं, स्नान-घाट, पूजा स्थल में किसी भी जाति, लिंग के नागरिक को बिना भेदभाव प्रवेश करने देने से है. इस पर रोक लगाना गैर-संवैधानिक माना जायेगा. समता का अधिकार अनुच्छेद 14-18 में दर्ज है. यह छुआछूत की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बनाया गया था.
स्वतंत्रता का अधिकार
किसी भी लोकतांत्रिक देश में स्वतंत्रता के अधिकार को खास महत्व दिया जाता है. स्वंत्रतता लोकतंत्र की मूल पहचान है. स्वतंत्रता के अधिकारों को अनुच्छेद 19-22 में शामिल किया गया है. लोकतंत्र में स्वतंत्रता कई अर्थों में मानी जाती है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गिरफ्तार होने पर कानून की मदद लेने की स्वतंत्रता, खाने और पहनने की स्वतंत्रता आदि इसके अंतर्गत आते हैं. इन पर प्रतिबंध नहीं लगाये जा सके. हालांकि इनमें कुछ अधिकारों की सीमा निर्धारित जरूर की गई है. मसलन लोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते.
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
भारत का संविधान धर्मनिर्पेक्षता को सुनिश्चित करता है. यहां संविधान हर नागरिक की आस्था, श्रद्धा और उसकी धार्मिकता की रक्षा करता है. अनुच्छेद 25-28 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार दिये गये हैं. अनुच्छेद 25 सभी लोगों को अपनी पसंद के धर्म के साथ जीने का हक देता है. अनुच्छेद 27 किसी भी नागरिक को इस बात की गारंटी देता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म या धार्मिक संस्था को बढ़ावा देने के लिए टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
शिक्षा का अधिकार
शिक्षा हासिल करना किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार है. और यह अधिकार उसे भारत का संविधान प्रदान करता है. अनुच्छेद 29 और 30 के तहत लोगों को शैक्षिक अधिकार दिये गये हैं. लोगों को शिक्षा देने में किसी भी प्रकार का भेदभाव पर प्रतिबंध है.
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इसके अलावा भारतीय संसद में एक अन्य अधिनियम बनाया गया था-जिसे शिक्षा का अधिकार कहते हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी Right to education (RTE). भारतीय संविधान के लिए अनुच्छेद 21(ए) के तहत देश में 6 से 14 साल के बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा निर्धारित है.
सूचना का अधिकार
भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकारों में शामिल सूचना का अधिकार अधिनियम ( Right to Education) को 15 जून 2005 को संसद में पारित किया गया था. और 12 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में लागू किया गया था. अनुच्छेद 19(1)ए के तहत पारित RTI अधिनियम भारत के किसी भी नागरिक को किसी भी पब्लिक अथॉरिटी से सरकारी सूचना हासिल करने का अधिकार देता है.