देश में उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन में सबसे अव्वल स्थान पर है। परन्तु प्याज उत्पादन को लेकर स्थिति बेहतर नहीं है। प्याज उत्पादन में पिछले पायदन पर खड़े उप्र की स्थिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चिंता बढ़ा दी है। वहीं, उत्पादन में वृद्धि को लेकर कार्य योजना बनाने में जुट गए हैं। वे चाहते हैं कि प्रदेश अब प्याज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बने।
मुख्यमंत्री की इस मंशा को पूरा करने के लिए उद्यान विभाग ने प्याज की खेती को और बढ़ावा देने की तैयारी की है। जिसके तहत क्रमबद्ध तरीके से लगातार राज्य में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसकी शुरुआत करते हुए इस खरीफ सीजन में बुंदेलखंड, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर सहित गंगा किनारे के उन क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां बरसात का पानी ना भरता हो। इस सम्बंध में तैयार की गई योजना के तहत प्याज की खेती करने वाले किसानों को बीज आदि उपलब्ध कराए जायेंगे।
गुरुवार को उद्यान विभाग के निदेशक आरके तोमर के अनुसार, राज्य में हर वर्ष करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत है। जबकि रवि और खरीफ सीजन में यहां प्याज का कुल उत्पादन 4.70 लाख मीट्रिक टन ही हो रहा है। अभी प्रदेश में 28 हजार 538 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जा रही है।
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कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है। जब एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी, तब ही यहां 15 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हो पाएगा।
श्री तोमर ने बताया कि कृषि विशेषज्ञों तथा उद्यान विभाग के अफसरों ने इस कठिन कार्य को करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है। इसके अनुसार हर जिले में उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां बरसात में पानी का भराव नहीं होता। इसके तहत गंगा किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
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उन्होंने बताया कि इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है। अभी गंगा किनारे के इन जिलों में 4 हजार हेक्टेयर रकबे में करीब 80 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है। इसके अलावा प्याज की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा।
उन्होंने कहा राज्य में प्याज की कमी के चलते इसके दाम बढ़ेंगे नहीं। किसानों को उनके प्याज की उचित कीमत मिलती रहेगी। इसी सोच के तहत इस खरीफ के सीजन में किसानों को प्याज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया है।
श्री तोमर ने बताया कि राज्य में प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहें हैं। इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी। अमूमन एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 50 हजार रुपए की लागत से करीब 150 से 200 कुंतल प्याज की पैदावार होती है। इन बीजों के उपयोग से प्याज की पैदावार में इजाफा होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी।