कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा और पूर्व उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य में भूमि अधिसूचना वापस लेकर कथित जालसाजी करने संबंधी मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट के पांच जनवरी के उस आदेश पर स्थगन देने से इनकार कर दिया, जिसके तहत उसने येडियुरप्पा के खिलाफ आपराधिक शिकायत को बहाल करने की इजाजत दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘आप (येडियुरप्पा) एक मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। आपके खिलाफ कौन गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है।’
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े और जस्टिस एएस बोपन्ना व वी रामासुब्रमण्यन की एक बेंच ने शिकायतकर्ता ए आलम पाशा और अन्य को नोटिस भी जारी किया। पीठ ने येडियुरप्पा और निरानी की उस याचिका को भी निरीक्षण के लिये स्वीकार कर लिया, जिसमें मामले में शिकायत को बहाल करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
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पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी कीजिए। तब तक मामले में गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।’ येडियुरप्पा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अपील से यह विधिक सवाल पैदा होता है कि क्या कोई अदालत बिना किसी पूर्व अनुमति के किसी लोक सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत इस आधार पर आगे बढ़ सकती है कि उसने वह पद अब छोड़ दिया है जिसका इस्तेमाल उसने कथित तौर पर अपराध के लिये किया था।
उन्होंने यह कहते हुए हाईकोर्ट के आदेश या निचली अदालत की कार्यवाहियों पर रोक लगाने की मांग की कि प्रक्रिया हाईकोर्ट के फैसले के बाद शुरू हो। रोहतगी ने कहा कि निचली अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के अनुपालन में येडियुरप्पा गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।
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पीठ ने कहा, ‘आप एक मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। आपके खिलाफ कौन गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है? अधिक से अधिक वे आपके लिये अनुरोध पत्र जारी कर सकते हैं।’ सर्वोच्च अदालत ने निरानी की याचिका पर भी ऐसा ही आदेश जारी किया।