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वेद, वेदांग और गुरु ग्रन्थ साहिब की वाणी की त्रिवेणी है श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल

Writer D by Writer D
02/02/2025
in Mahakumbh 2025, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज, राजनीति
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Akhara

Akhara

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महाकुम्भ नगर: प्रयागराज महाकुम्भ में सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ा (Akhara) सेक्टर में निरंतर रौनक दिख रही है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में वेद वेदांग और गुरुवाणी का अद्भुत संगम है। निर्मल पंथ से इसे शास्त्रों, वेद और वेदांगो की शिक्षाओं के अध्ययन का मार्ग मिला तो वहीं 1682 में खालसा पंथ की स्थापना से असहायों की पीड़ा हरने और शत्रु को सबक सिखाने के लिए शस्त्र की दीक्षा की राह मिली। इस तरह इस अखाड़े में शास्त्र और शस्त्र दोनों को स्थान मिला, जो इसके संगठन, संरचना, व्यवस्था और परंपराओं में भी प्रतिध्वनित होता है।

सहजता, समता और सेवा भाव की सर्वोच्चता

सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में वैभव और प्रदर्शन की झलक मिलती है। इनके मध्य श्री पंचायती अखाड़ा (Akhara) निर्मल अपनी सहजता, समता और सेवा भाव के लिए अलग पहचान दर्ज कराता है। इस पंथ में इनके दस गुरुओं ने अपने शिष्यों को सेवा और भक्ति का जो संदेश दिया, उसे संकलित कर तैयार ग्रंथ गुरु ग्रन्थ साहिब (वेद का दर्जा प्राप्त) की गुरु वाणी को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। इसमें सभी जातियों के गुरु और भक्तों की वाणी शामिल है।

यही इसके आचरण में दृष्टिगत भी होती है। इसमें जातिभेद के लिए जगह नहीं है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सब एक साथ लंगर में प्रसाद छकते हैं। पंगत और संगत साथ करते हैं। अखाड़े में हर समय गुरु वाणी और कीर्तन का पाठ होता है, जिसमें सेवा और सहजता के दर्शन होते हैं।

शास्त्र और शस्त्र की सांझी परंपरा का प्रतीक है निर्मल अखाड़ा (Nirmal Akhara)

अखाड़ों (Akhara) के आखिरी चरण में गठित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल हिंदू सनातन परंपरा की सभी व्यवस्थाओं की साझा विरासत है। सन 1682 में पंजाब के पटियाला में राजा पटियाला के सहयोग से इस अखाड़े का गठन किया गया। इसके संस्थापक बाबा श्री महंत मेहताब सिंह वेदांताचार्य हैं। अखाड़े का प्रारंभिक मुख्यालय पटियाला था, लेकिन अब कनखल हरिद्वार हो गया है।

अखाड़े (Akhara) के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री बताते हैं कि ज्ञान देव सिंह इसके वर्तमान अध्यक्ष हैं। साक्षी महराज इसके आचार्य महामंडलेश्वर हैं। इसके अलावा 5 महामंडलेश्वर भी हैं। इसका संचालन देखने वाली कार्यकारिणी में 25 से 26 संत होते हैं।

इसके अंतर्गत अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष या कोठारी, मुकामी महंत होते हैं। इसकी सबसे छोटी ईकाई विद्यार्थी है। देश भर में इसकी 32 शाखाएं हैं। अखाड़े के पंच ककार होते हैं- कड़ा, कंघा, कृपाण, केश और कच्छा, जिसे सभी सदस्य धारण करते हैं। नीले रंग के वस्त्र धारी निहंग, भगवा वस्त्र धारी संत और श्वेत वस्त्र धारी विद्यार्थी कहलाते हैं।

Tags: maha kumbh
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