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सपा की कथनी-करनी में फर्क है : डॉ. अयूब

Writer D by Writer D
22/02/2022
in उत्तर प्रदेश, संत कबीरनगर
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dr ayub

dr ayub

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संत कबीरनगर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे  पीस पार्टी  के अध्यक्ष डॉ. अयूब (dr. ayub) ने मंगलवार को कहा कि  धर्मनिरपेक्ष और मुस्लिम  मतों में बंटवारे के लिए समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (congress) जिम्मेदार हैं और अगर ये तीनों दल साथ आ जाएं तो 90 फीसदी मतों का बंटवारा नहीं होगा।

यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस  (यूडीए) के बैनर तले  पीस पार्टी , 50 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यूडीए के तहत मौलाना आमिर रशदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय उलेमा परिषद , कुर्मी समाज के डॉ. बीएल वर्मा के नेतृत्व वाली किसान पार्टी, श्याम सुंदर चौरसिया की जनहित किसान पार्टी, मोहम्मद शमीम के नेतृत्व वाली नागरिक एकता पार्टी जैसे छोटे दलों ने गठबंधन किया है।

पीस पार्टी, राष्ट्रीय उलेमा परिषद और असदुद्दीन ओवैसी नीत आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसे दलों के मैदान में आने से मुस्लिम मतों का बंटवारा होने और इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलने के सवाल पर डॉ. अयूब ने कहा,    असल में भाजपा को जिताने के लिए जिम्मेदार पीस पार्टी और ओवैसी की पार्टी नहीं, बल्कि कांग्रेस, सपा और बसपा हैं, क्योकि  धर्मनिरपेक्ष  मतों के साथ-साथ मुस्लिम मतों का बंटवारा भी यही लोग कर रहे हैं। अगर ये एक साथ आ जाते तो स्थिति ऐसी ना होती।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बड़हलगंज के पिछड़े मुस्लिम समाज से नाता रखने वाले मशहूर सर्जन डॉ. अयूब ने  पीस पार्टी  की स्थापना 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान की थी और 2012 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।

डॉ. अयूब खुद संत कबीरनगर जिले की खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। बाद में उनकी पार्टी टूटी और तीन विधायकों ने डॉ. अयूब को विधानमंडल दल के नेता पद से हटाकर अखिलेश सिंह को नेता बना दिया। वर्ष 2017 में पार्टी एक भी सीट जीत नहीं सकी। पीस पार्टी ने 2017 में 68 सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे केवल 1.56 प्रतिशत वोट ही मिले थे।

डॉ. अयूब ने  पीटीआई-भाषा  को दिये एक साक्षात्कार में पीस पार्टी के टूटने के सवाल पर कहा,   2012 में पीस पार्टी के उभार से सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा डर गई थी, यही सच्चाई है। तब उन दलों ने सोचा कि अगर इसे रोका नहीं गया तो उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।  धर्मनिरपेक्ष  और मुस्लिम मत एकजुट हो जाएंगे तो उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

डॉ. अयूब ने कहा कि मुसलमानों और अति पिछड़े, दलितों और वंचितों के भविष्य के लिए उनकी प्राथमिकता भाजपा को सत्ता में आने से रोकना हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है, जो मुसलमानों की  दुश्मन  तो है ही, लेकिन उससे ज्यादा पिछड़े और दलितों की  दुश्मन  है।

विधानसभा चुनाव परिणाम के सवाल पर डॉ. अयूब ने दावा किया,    इस बार हमारी स्थिति मजबूत है, लेकिन किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा और मिली जुली सरकार बनेगी। चुनाव में अगर जीत मिली तो, भाजपा को समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा,  हम किसी कीमत पर भाजपा को समर्थन नहीं देंगे, क्योंकि हम  दुश्मन  के साथ नहीं जा सकते।

विकास के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर विकास और काम से नतीजे आते को भाजपा कभी सरकार नहीं बना पाती।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ अफवाह, नफरत और घृणा फैलाती है और उसे नफरत, घृणा और द्वेष की राजनीति से वोट मिल जाता है। डॉक्टर ने दावा किया कि 2014, 2017 और 2019 में भाजपा ने लोगों को भ्रमित किया, लेकिन अब जनता उन्हें समझ चुकी है।

विधानसभा चुनाव में मुसलमान मतदाताओं की सोच के सवाल पर उन्होंने कहा,    उत्तर प्रदेश का मुसलमान अपने भविष्य के लिए सोच रहा है। अब तक जितनी भी सरकारें आर्इं किसी ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया, सभी ने उसका शोषण किया है, इसलिए अब उन्हें यह समझ में आने लगा है कि राजनीति में खुद का नेतृत्व होना जरूरी है।

मुसलमानों के सपा के प्रति अधिक आकर्षित होने के सवाल पर उन्होंने कहा,    वर्ष 2012 में सपा ने मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही और जब सरकार बन गई तो चपरासी से लेकर एसडीएम तक के पद पर यादव को नियुक्ति मिली लेकिन मुसलमानों को उनका हिस्सा नहीं मिला। उनकी कथनी-करनी में फर्क है, लेकिन हमारी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है।

Tags: Election 2022UP Assembly Election 2022up chunav 2022up election 2022चुनावचुनाव 2022विधानसभाविधानसभा चुनाव 2022
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