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राम के बिना अयोध्या नहीं, जहां राम है वहीं अयोध्या है : राष्ट्रपति

Writer D by Writer D
29/08/2021
in Main Slider, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, राजनीति
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राष्ट्रपति ने कहा है कि राम के बिना अयोध्या, अयोध्या नहीं है। अयोध्या तो वही है, जहां राम हैं। इस नगरी में प्रभु राम सदा के लिए विराजमान हैं। इसलिए यह स्थान सही अर्थों में अयोध्या है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को अयोध्या के रामकथा पार्क में रामायण कान्क्लेव के उद्घाटन के बाद लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, ‘जिसके साथ युद्ध करना असंभव हो’। रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम एवं शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था। इसलिए इस नगरी का ‘अयोध्या’ नाम सर्वदा सार्थक रहेगा।

उन्होंने कहा कि रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है, जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है। संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ, शासक का जनता के साथ और मानव का प्रकृति एवं पशु-पक्षियों के साथ कैसा आचरण होना चाहिए, इन सभी आयामों पर, रामायण में उपलब्ध आचार संहिता, हमें सही मार्ग पर ले जाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि रामचरितमानस में एक आदर्श व्यक्ति और एक आदर्श समाज दोनों का वर्णन मिलता है। रामराज्य में आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ आचरण की श्रेष्ठता का बहुत ही सहज और हृदयग्राही विवरण मिलता है- नहिं दरिद्र कोउ, दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध, न लच्छन हीना।। ऐसे अभाव-मुक्त आदर्श समाज में अपराध की मानसिकता तक विलुप्त हो चुकी थी। दंड विधान की आवश्यकता ही नहीं थी। किसी भी प्रकार का भेद-भाव था ही नहीं। राष्ट्रपति ने रामचरित मानस की चौपाई का उदाहरण दिया कि ‘दंड जतिन्ह कर भेद जहँ, नर्तक नृत्य समाज। जीतहु मनहि सुनिअ अस, रामचन्द्र के राज॥

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उन्होंने कहा कि यह दैव तो कायर के मन का एक आधार है यानी तसल्ली देने का तरीका है। आलसी लोग ही भाग्य की दुहाई दिया करते हैं। ऐसी सूक्तियों के सहारे लोग जीवन में अपना रास्ता बनाते चलते हैं।रामनाथ कोविंद ने कहाकि रामचरित-मानस की पंक्तियां लोगों में आशा जगाती हैं, प्रेरणा का संचार करती हैं और ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं। आलस्य एवं भाग्यवाद का त्याग करके कर्मठ होने की प्रेरणा अनेक चौपाइयों से मिलती है ‘कादर मन कहुं एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।

राष्ट्रपति ने रामकथा के महत्व के विषय में गोस्वामी तुलसीदास के कथन का हवाला दिया, ‘रामकथा सुंदर करतारी, संसय बिहग उड़ावनि-हारी। अर्थात राम की कथा हाथ की वह मधुर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है। उन्होंने कहाकि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि रामायण और महाभारत, इन दोनों ग्रन्थों में, भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं। यह कहा जा सकता है कि भारतीय जीवन मूल्यों के आदर्श, उनकी कहानियां और उपदेश, रामायण में समाहित हैं। रामायण ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि रामायण के प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास भारतीय संस्कृति तथा पूरी मानवता के हित में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि रामायण में राम निवास करते हैं। इस अमर आदिकाव्य रामायण के विषय में स्वयं महर्षि वाल्मीकि ने कहा है-यावत् स्था-स्यन्ति गिरय: सरित-श्च महीतले तावद् रामायण-कथा लोकेषु प्र-चरिष्यति। अर्थात जब तक पृथ्वी पर पर्वत और नदियां विद्यमान रहेंगे, तब तक रामकथा लोकप्रिय बनी रहेगी। रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है। उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित-मानस, भारत के पूर्वी हिस्से में कृत्तिवास रामायण, दक्षिण में कंबन रामायण जैसे रामकथा के अनेक पठनीय रूप प्रचलित हैं।

राष्ट्रपति ने विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति का उल्लेख किया और कहा कि इन्डोनेशिया के बाली द्वीप की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। मालदीव, मारिशस, त्रिनिदाद व टोबेगो, नेपाल, कंबोडिया और सूरीनाम सहित अनेक देशों में प्रवासी भारतीयों ने रामकथा एवं रामलीला को जीवंत बनाए रखा है। रामकथा का साहित्यिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव मानवता के बहुत बड़े भाग में देखा जाता है। भारत ही नहीं विश्व की अनेक लोक-भाषाओं और लोक-संस्कृतियों में रामायण और राम के प्रति सम्मान और प्रेम झलकता है।

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उन्होंने कहा कि ‘मैं तो समझता हूं कि मेरे परिवार में जब मेरे माता-पिता और बुजुर्गों ने मेरा नामकरण किया होगा, तब उन सब में भी संभवतः रामकथा और प्रभु राम के प्रति वही श्रद्धा और अनुराग का भाव रहा होगा जो सामान्य लोकमानस में देखा जाता है।

राष्ट्रपति ने अपने भाषण में जोड़ा कि रामायण में राम-भक्त शबरी का प्रसंग सामाजिक समरसता का अनुपम संदेश देता है। महान तपस्वी मतंग मुनि की शिष्या शबरी और प्रभु राम का मिलन, एक भेद-भाव-मुक्त समाज एवं प्रेम की दिव्यता का अद्भुत उदाहरण है। अपने वनवास के दौरान प्रभु राम ने युद्ध करने के लिए अयोध्या और मिथिला से सेना नहीं मंगवाई। उन्होंने कोल-भील-वानर आदि को एकत्रित कर अपनी सेना का निर्माण किया। अपने अभियान में जटायु से लेकर गिलहरी तक को शामिल किया। आदिवासियों के साथ प्रेम और मैत्री को प्रगाढ़ बनाया।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस रामायण कॉन्क्लेव की सार्थकता सिद्ध करने के लिए यह आवश्यक है कि राम-कथा के मूल आदर्शों का सर्वत्र प्रचार-प्रसार हो तथा सभी लोग उन आदर्शों को अपने आचरण में ढालें।

उन्होंने कहा कि समस्त मानवता एक ही ईश्वर की संतान है, यह भावना जन-जन में व्याप्त हो, यही इस आयोजन की सफलता की कसौटी है। इस सन्दर्भ में, रामचरित मानस की एक अत्यंत लोकप्रिय चौपाई का, मैं उल्लेख करना चाहूंगा’ सीय राममय सब जग जानी, करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी। इस पंक्ति का भाव यह है कि हम पूरे संसार को ईश्वरमय जानकर सभी को सादर स्वीकार करें। हम सब, प्रत्येक व्यक्ति में सीता और राम को ही देखें। राम सबके हैं, और राम सब में हैं। आइए, हम सब इस स्नेहपूर्ण विचार के साथ अपने दायित्वों का पालन करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में प्रभु राम के आदर्शो को महात्मा गांधी ने आत्मसात किया था। वस्तुत: रामायण में वर्णित प्रभु राम का मार्यादा पुरुषोत्तम रूप प्रत्येक व्यक्ति के लिए आदर्श का स्रोत है। गांधी जी ने आदर्श भारत की अपनी परिकल्पना को रामराज्य का नाम दिया है। बापू की जीवन चर्या में राम-नाम का बहुत महत्व है।

उल्लेखनीय है कि रामायण कॉन्क्लेव आज से आगामी एक नवम्बर तक अलग-अलग चरणों में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सम्पन्न होगा। कॉन्क्लेव में प्रातःकालीन सत्र में विशिष्ट कथावाचकों तथा रामायण के विद्वानों द्वारा रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर व्याख्यान एवं विचार-विमर्श होंगे। वहीं, सायंकालीन सत्र में रामायण एवं रामकथा से सम्बन्धित उच्चस्तरीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियां सम्पन्न होंगी। रामलीला एवं लोक बोलियों के कवि सम्मेलनों के माध्यम से रामकथा के विभिन्न सन्दर्भाें को प्रस्तुत किया जाएगा।

Tags: ayodhya newscm yogi adityanathLatest Lucknow News in HindiLucknow Hindi SamacharLucknow News in Hindipresident Ramnath Kovindram katha park ayodhyaUttar Pradesh News
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