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नाग पंचमी के दिन इन आठ नाग देवताओं की होती है पूजा

Desk by Desk
25/07/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली, राष्ट्रीय
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धर्म डेस्क। नाग पंचमी का पर्व सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 25 जुलाई को पड़ रही है। इसलिए नाग पंचमी पर्व इस माह की 25 तारीख को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में पशु-पक्षियों को पूजने का विधान है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। महाभारत में नागों की उत्पत्ति का वर्णन मिलता है। हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है। महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। नागपंचमी के दिन आठ नागों की पूजा होती है। इनमें अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख हैं।

अनंत (शेषनाग)

भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग के सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है। ब्रह्मा के वरदान से ये पाताल लोक के राजा हैं। रामायण काल में लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे और महाभारत काल में बलराम शेषनाग के अंश थे।

वासुकि

भगवान शिव के सेवक वासुकि हैं। समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकि को ही रस्सी बनाया गया था। महाभारत काल में उन्होंने विष से भीम को बचाया था।

पद्म

पदम नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था। बाद में ये मणिपुर में बस गए थे। कहते हैं असम में नागवंशी इन्हीं के वंशज हैं।

महापद्म

विष्णुपुराण में सर्प के विभिन्न कुलों में महाद्म का नाम आया है।

तक्षक नाग

तक्षक नाग का वर्णन महाभारत में मिलता है। तक्षक पाताल में निवास करने वाले आठ नागों में से एक है। यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुआ था तथा इसके पिता कश्यप ऋषि थे। तक्षक ‘कोशवश’ वर्ग का था। यह काद्रवेय नाग है। माना जाता है कि तक्षक  का राज तक्षशिला में था।

कुलिक

कुलिक नाग जाति में ब्राह्मण कुल की मानी जाती है। कुलिक नाग का संबंध ब्रह्मा जी से भी माना जाता है।

कर्कट नाग

कर्कट शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।

शंख

नागों के आठ कुलों में शंख एक हैं। शंख नाग जातियों में सबसे बुद्धिमान है।

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