राहु और केतु दोनों मायावी ग्रह माने जाते हैं। ये दोनों ही ग्रह हमेशा वक्री चाल चलते हैं। वृषभ राशि में राहु उच्च के होते हैं, वृश्चिक राशि में ये नीच के होते हैं। इसके कारण वृषभ राशि के जातकों को राहु हमेशा शुभ फल देते हैं। वहीं, केतु धनु राशि में उच्च के होते हैं। अत: धनु राशि के जातकों को केतु हमेशा शुभ फल देते हैं।
वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजित हैं और केतु कन्या राशि में उपस्थित हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, कुंडली में राहु और केतु मजबूत स्थिति में हो, तो जातक को सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। राहु और केतु के संयोग से कालसर्प दोष का निर्माण होता है। कालसर्प दोष कई तरह के होते हैं। इनमें एक तक्षक कालसर्प दोष है, जो कि बहुत ही खतरनाक माना जाता है।
इस कारण बनता है तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh)
ज्योतिषियों के अनुसार, तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh) तब बनता है, जब केतु लग्न भाव में और राहु विवाह भाव में हो। इन दोनों ग्रहों के बीच सभी शुभ और अशुभ ग्रह मौजूद होते हैं। इसी प्रकार जब राहु लग्न भाव में और केतु जीवनसाथी के भाव में हो, तो अनंत कालसर्प दोष बनता है। यह दोष बहुत खतरनाक माना जाता है।
तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh) से पीड़ित व्यक्ति के विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं। कई मौकों पर इस दोष के कारण शादी के बाद वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने लगती हैं। ससुराल वालों से रिश्ते टूट जाते हैं। व्यापार में घाटा होता है। बनते काम बिगड़ने लगते हैं। तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh) से पीड़ित व्यक्ति को जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh) से मुक्ति के लिए उपाय
तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh) का उपाय जरूर किया जाना चाहिए। इस दोष का निवारण त्र्यंबकेश्वर और महाकालेश्वर मंदिर में किया जा सकता है। इसके अलावा भगवान शिव या विष्णु के मंदिर में भी काल सर्प दोष का निवारण हो सकता है।
तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaalsarp Dosh) के प्रभाव को कम करने के लिए हर मंगलवार हनुमान जी की पूजा करें। हनुमानजी को सिंदूर और मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। प्रतिदिन पक्षियों को दाना डालें।