• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

दुधवा टाइगर रिजर्व में 118 साल के बाद दिखा ये दुर्लभ प्रजाति का फूल

Desk by Desk
22/07/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, फैशन/शैली, राष्ट्रीय
0
आर्किड का फूल

आर्किड का फूल

15
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

लाइफ़स्टाइल डेस्क। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल से एक बहुत ही अच्छी खबर आई है। दुधवा टाइगर रिजर्व टीम ने एक दुलर्भ प्रजाति का पौधा ‘ग्राउंड आर्किड’ खोजा है। करीब 118 साल बाद दुधवा के जंगल में आर्किड के पौधे पर फूल खिला हुआ देखने को मिला है। इसके साथ ही इस दुर्लभ प्रजाति के पौधे में फल भी आ रहे हैं। आर्किड के पौधे को देखकर वन विभाग के अधिकारी बहुत खुश हैं।

दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि जंगल के अलग-अलग क्षेत्रों में घास के मैदानों का अध्ययन करते समय एक दुर्लभ प्रजाति का पौधा दिखाई दिया। इस पौधे को और उसमें लगे फूलों को देखकर संजय ने फोटो ली और उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया। संजय पाठक के मुताबिक, इस दुर्लभ वनस्पति को आमतौर पर ग्राउंड आर्किड के नाम से जाना जाता है, जिसका वानस्पतिक नाम यूलोफिया ऑब्ट्यूसा है।

आर्किड के पौधे को करीब 118 साल पहले यानी साल 1902 में देखा गया था, जिसके बाद साल 2020 में इसके दर्शन हुए हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व के लिए यह एक शुभ संकेत है। मुख्य तौर पर यह पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। उत्तराखंड, सिक्किम, दार्जलिंग या गुवाहटी के पहाड़ियों पर यह पौधा मिलता है।

संजय पाठक ने बताया कि आर्किड का पौधा पीलीभीत जिले में भी पाया गया था। अब यह दुधवा में भी पाया गया है। दुधवा के लिए यह बहुत ही सुखद खबर है कि ये पौधा यहां काफी संख्या में पाया गया है। 1 जुलाई को घास के मैदानों का अध्ययन करते समय, जब हमने इस पौधे को देखा तो थोड़ा आश्चर्य हुआ। इसके बाद हमने इस पौधे की फोटो ली और इसके बारे में जानकारी जुटाई।

इस दुर्लभ प्रजाति के पौधे को मिलने के बाद संजय पाठक ने उत्तर-दक्षिण विश्वविद्यालय ढाका (बांग्लादेश) के वनस्पति शास्त्री मोहम्मद शरीफ हुसैन सौरभ से जब बात की तो उन्होंने खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि इस दुर्लभ प्रजाति का रिकार्ड पिछले 100 साल से अधिक समय से देखने को नहीं मिला है। मोहम्मद शरीफ हुसैन सौरभ ने बताया कि आखिरी बार साल 2014 में इस पौधे को बांग्लादेश में आखिरी बार देखा गया था।

Tags: 118 सालDudhwa national parkdudhwa tiger reserveorchid flower in dudhwa national parkorchid flower in uttar pradeshorchid flower plantorchid flower rarerchid flowerआर्किड का फूलजंगलदुधवा टाइगर रिजर्वपार्कपौधा
Previous Post

बाइक पर आए बदमाशों ने दो शराब ठेकेदारों को गोलियों से भून डाला

Next Post

पुलिस को बेवकूफ बनाकर वीवीआईपी सुविधा लेता था ये 8वीं फेल युवक

Desk

Desk

Related Posts

ST Hasan
Main Slider

चले भी गए तो फर्क नहीं पड़ेगा… आजम खान को लेकर सपा के मुस्लिम नेता का बड़ा बयान

24/09/2025
Swami Chinmayanand
Main Slider

गलत तरीके से छूते थे… श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट में ‘स्वामी’ की गंदी क्लास

24/09/2025
Naxalite encounter
Main Slider

सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई, दो सब-जोनल कमांडर समेत 3 नक्सलियों को मिट्टी में मिलाया

24/09/2025
samosa chaat
खाना-खजाना

चटपटा खाने के है शौकीन, तो मिनटों में तैयार करें ये चाट

24/09/2025
gayatri mantra
Main Slider

इस मंत्र का जाप रोजाना करें, होंगे ये फायदे

24/09/2025
Next Post
8वीं फेल युवक

पुलिस को बेवकूफ बनाकर वीवीआईपी सुविधा लेता था ये 8वीं फेल युवक

यह भी पढ़ें

Drowned

तालाब में डूबे दम्पति की तलाश में जुटी पुलिस

30/12/2021
69 thousand teacher recruitment

69 हजार शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का 23 नवम्बर को बंद का ऐलान

18/10/2021
Gorakhnath Medical College

गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज को मिलेगा एम्स भोपाल और गोरखपुर का साथ

19/12/2024
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version