तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित हो रही सरस्वती के संगम तट पर 14 जनवरी से लगने वाले माघ मेला में कल्पवास करने वाले कल्पवासियों काे अपने साथ कोविड निगेटिव की रिपोर्ट साथ में लाना होगा।
दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन कहे जाने वाले “माघ मेला” का पहला मकर संक्राति का स्नान 14 जनवरी को होगा, जिसको लेकर बिजली विभाग की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। गुरूवार से शुरू होकर मार्च माह में महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान संगम पर करीब 12 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि माघ मेले में हर साल स्नान पर्वों को मिलाकर करोड़ों श्रद्धालु आते हैं और पांच लाख के लगभग कल्पवासी और हजारों साधु संत भी शामिल होते हैं। इन्हें कोरोना काल में नियंत्रित करना और सुरक्षित घर वापस भेजना मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस बार माघ मेला कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार करवाया जा रहा है जिसको लेकर श्रद्धालुओं,कल्पवासियों और साधु-संतों को कोविड की निगेटिव जांच रिपोर्ट के आने के बाद मेला में प्रवेश मिलेगा। उन्हें अधिकतम तीन दिन पुरानी आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य होगी।
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उन्होंने बताया कि मेले में आने वाले कल्पवासियों का डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा और 15-15 दिनों में दो बार रैपिड एंटीजेन किट से हर कल्पवासी की कोविड जांच भी कराई जाएगी। इसके अलावा शिविर में अगर एक भी श्रद्धालुओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सभी लोगों को 15 दिन के लिए आइसोलेट भी किया जाएगा। इस बार कोविड-19 को देखते हुए मेले में अधिक भीड़-भाड़ न हो, इसलिए मेले में जरुरी दुकानों को छोड़कर बाकी दुकानों पर पाबंदी रहेगी।
गौरतलब है कि आधी-अधूरी तैयारियों के बीच गुरूवार 14 जनवरी को माघ का पहला स्नान शुरू होने के साथ माघ मेला शुरू हो जाएगा। मेले में केवल बिजली के खाली खंभे दिखलायी पड़ रहे हैं और कहीं कहीं तंबू नजर आ रहे हैं। मेला क्षेत्र में टॉयलेट, पानी, टेंट, बिजली, पंटून पुल की व्यवस्था अभी भी पूरा नहीं हुआ है जबकि मेला लगने में केवल नौ दिन शेष हैं।