धर्म डेस्क। शास्त्रों और पुराणों में अच्छा जीवन जीने के लिए कई तरह के नियम बताए गए हैं। इन उपायों का अनुसरण कर व्यक्ति जीवन को सरल और सुखी बना सकता है। जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के लिए पुराणों में क्या-क्या नियम बताए गए हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को कुछ तिथियों पर विशेष सावधानी और निययों का पालन करना चाहिए। व्यक्ति को हर महीने की अष्टमी, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या और चतुर्दशी तिथि पर भगवान की पूजा-आराधना जरूर करनी चाहिए। इन तिथियों पर व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में भूलकर भी इस तिथि पर न तो मांसाहार का सेवन करें और न ही शरीर पर तेल की मालिश करनी चाहिए। यह सभी तिथि बहुत ही शुभ मानी गई हैं।
भगवान की आराधना करने से ही मनुष्य भगवान को अपने करीब पाता है। ऐसे में पूजा-पाठ करते समय भूलकर भी देवी-देवताओं की मूर्तियों को, शंख, पूजा सामग्री, शालिग्राम और दीपक को अशुद्ध जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन सभी चीजों को जमीन पर रखने से पहले लाल कपड़ा बिछाकर किसी साफ और ऊंचे स्थानों पर रखना चाहिए।
पुराणों में बताया गया है कि कभी किसी पुरुष को पराई महिलाओं की तरफ बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए और न ही किसी महिला का अपमान करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और वैभव की कमी होने लगती है। पराई चीजों को अपनी समझने पर धीरे-धीरे दरिद्रता बढ़ने लगती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि कभी भी सूर्य और चंद्रमा के अस्त होते समय उसे निहारना नहीं चाहिए। ऐसा करने से जीवन में नकारात्मकता हावी होने लगती है। जहां एक तरफ सूर्य को उदय होते हुए देखने पर जीवन में सकारात्मकता और सफलता प्राप्त होती है। वहीं अस्त होते हुए सूर्य को देखना पर निराशा का भाव जागता है।
शास्त्रों में दान का विशेष महत्व बताया गया है। दान करने से भगवान की कृपा मिलती है। इसके अलावा समय-समय पर दान करने से कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। अगर दान का आपने संकल्प किया है उसे उसी तिथि पर करना चाहिए जिस तिथि पर दान देना का प्रण लिया है।