इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) पितृपक्ष (Pitra Paksha) में आने वाली विशेष तिथि है, जिसका संबंध पितरों की शांति और मोक्ष से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और नियमपूर्वक पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष से मुक्ति का मार्ग खुलता है। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग पितृपक्ष में अपने पितरों को प्रसन्न करने के उपाय करते हैं, उन्हें न केवल पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि उनके जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति भी आती है। आइए जानते हैं इस बार की एकादशी की तिथि और उन उपायों के बारे में जिन्हें करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi)
पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर को रात 12 बजकर 21 मिनट पर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।
पितृ दोष (Pitru Dosh) क्या है?
जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों (पितरों) की आत्मा को शांति नहीं मिलती, तो उसे पितृ दोष माना जाता है। यह दोष कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि पितरों का विधिपूर्वक श्राद्ध न करना, उनकी मृत्यु के बाद कोई अनुष्ठान अधूरा रह जाना, या उनका असंतोष। पितृ दोष के कारण परिवार में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं, जैसे धन की कमी, विवाह में देरी, संतान संबंधी परेशानियां और लगातार बीमारियां।
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए क्या करें?
अगर आप पितृ दोष से परेशान हैं, तो इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का दिन आपके लिए बहुत शुभ है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करके आप पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं:
व्रत और पूजा: इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान शालिग्राम और भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में तुलसी दल, फूल, फल और पंचामृत जरूर चढ़ाएं।
श्राद्ध और तर्पण: इस दिन पितरों का श्राद्ध करना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध करने में सक्षम हैं, तो किसी योग्य ब्राह्मण से विधिपूर्वक श्राद्ध करवाएं। अगर ऐसा संभव न हो तो तर्पण (जल अर्पित करना) कर सकते हैं।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं: पितरों की शांति के लिए इस दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराना बहुत शुभ होता है। भोजन में खीर और पूड़ी जैसी चीजें शामिल करें।
दान-पुण्य: इस दिन अनाज, कपड़े या धन का दान करना भी बहुत लाभकारी होता है। गाय को चारा खिलाना भी पुण्य का काम है।
पितृ स्तोत्र का पाठ: अगर आपको पितृ दोष महसूस होता है, तो इंदिरा एकादशी के दिन पितृ स्तोत्र या गरुड़ पुराण का पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है। यह पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का महत्व
यह एकादशी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आती है और इसे पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकमात्र एकादशी के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पितरों को स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त होता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।