7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक तीनों दृष्टिकोणों से विशेष महत्व रखता है। भक्तों को चाहिए कि वे सूतक काल (Sutak Kaal) के नियमों का पालन करें, मंत्र-जप व ध्यान में समय बिताएं और ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान-दान अवश्य करें। इससे न सिर्फ पितरों की कृपा मिलती है बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि भी आती है।
समय-सारणी
सूतक काल प्रारंभ- 12:57 PM, 7 सितंबर
ग्रहण आरंभ- 9:58 PM, 7 सितंबर
ग्रहण का चरम- 11:42 PM, 7 सितंबर
ग्रहण समाप्ति- 1:26 AM, 8 सितंबर
कब से कब तक रहेगा ग्रहण (Chandra Grahan) ?
पंचांग और खगोलीय गणना के अनुसार 7 सितंबर की रात चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का आरंभ 9:58 बजे से होगा। इसका मध्य या चरम समय 11:42 बजे रात रहेगा। इसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा छाया से बाहर आएगा और यह ग्रहण 8 सितंबर की सुबह 1:26 बजे समाप्त होगा। यानी कुल मिलाकर यह ग्रहण लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा।
सूतक काल: कब शुरू होगा?
धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण से पहले का समय सूतक काल (Sutak Kaal) कहलाता है। यह समय अत्यंत पवित्र और संवेदनशील माना जाता है। सूतक काल हमेशा ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लग जाता है। इस बार सूतक काल की शुरुआत 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से होगी। सूतक का समापन ग्रहण खत्म होने के बाद यानी 8 सितंबर सुबह 1:26 बजे होगा।
सूतक में क्या करना चाहिए?
धार्मिक परंपराओं के अनुसार सूतक काल के दौरान कई प्रकार के नियमों का पालन किया जाता है। इस समय में मंत्र-जप, ध्यान और भगवान का स्मरण विशेष फलदायी माना जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर दान-पुण्य करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।
सूतक में क्या करना है निषेध?
इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहते हैं, भोजन पकाना वर्जित होता है, नई शुरुआत या शुभ कार्य करने की मनाही रहती है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है।
पितृ पक्ष से जुड़ा संयोग
इस बार चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का समय और भी खास है क्योंकि यह पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) की शुरुआत के साथ जुड़ रहा है। धार्मिक मान्यता है कि जब ग्रहण पितृ पक्ष के दौरान पड़ता है, तो यह पितरों की आत्मा को तृप्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर प्रदान करता है। इस कारण इस ग्रहण का महत्व और भी बढ़ जाता है।