कालाष्टमी हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है. आषाढ़ माह में कालाष्टमी 1 जुलाई, गुरुवार के दिन पड़ रही है. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के विग्रह स्वरुप भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के पांचवे आवतार हैं. काल भैरव के दो रूप हैं- पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध हैं तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक हैं.
भगवान भैरव के भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति भयमुक्त होता है और उसके जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती है.मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है.
आइए जानते हैं आषाढ़ माह में कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि…
कालाष्टमी 2021 शुभ मुहूर्त
आषाढ़, कृष्ण अष्टमी
प्रारम्भ – जुलाई 01- समय- 02:01 पी एम,
समाप्त – जुलाई 02- समय- 03:28 पी एम.
काल भैरव का मंत्र:
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्।
द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
कालाष्टमी पूजा विधि:
कालाष्टमी के दिन भक्तों को सुबह नहा-धोकर भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. व्रती को पूरे दिन उपवास करना चाहिए और रात्रि के समय धूप, दीप, धूप,काले तिल,उड़द, सरसों के तेल का दिया बनाकर भगवान काल भैरव की आरती गानी चाहिए.
मान्यता के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए जब व्रती व्रत खोलें तो उसे अपने जलेबी जोकि काल भैरव को अति प्रिय है या हाथ से कुछ पकवान बनाकर सबसे पहले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से भगवान काल भैरव की कृपा आती है. पूरे मन से काल भैरव भगवान के पूजा करने पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
मान्यता के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए जब व्रती व्रत खोलें तो उसे अपने जलेबी जोकि काल भैरव को अति प्रिय है या हाथ से कुछ पकवान बनाकर सबसे पहले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से भगवान काल भैरव की कृपा आती है. पूरे मन से काल भैरव भगवान के पूजा करने पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं.