आश्विन माह का प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए यह शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) है. शुक्र प्रदोष व्रत सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाला होता है. इस व्रत को करने और भगवान शिव की आराधना करने से धन, संपत्ति, वैभव और सभी प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डाॅ. गणेश मिश्र बता रहे हैं शुक्र प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा का प्रदोष मुहूर्त.
शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 23 सितंबर दिन शुक्रवार को 01 बजकर 17 मिनट एएम पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन 24 सितंबर शनिवार को 02 बजकर 30 एएम पर हो रहा है. उदयातिथि और प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर शुक्र प्रदोष व्रत 23 सितंबर को रखा जाएगा.
प्रदोष (Shukra Pradosh Vrat) पूजा मुहूर्त
23 सितंबर को शुक्र प्रदोष की पूजा का शुभ समय शाम को 06 बजकर 17 मिनट से रात 08 बजकर 39 मिनट तक है. जो लोग इस दिन व्रत रखेंगे, उनको शिव पूजा के लिए 02 घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष मुहूर्त में ही करने का महत्व है.
सिद्ध और साध्य योग में शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat)
यह शुक्र प्रदोष व्रत आपके मनोकामनाओं की पूर्ति और कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला है क्योेंकि इस दिन सिद्ध और साध्य योग बन रहे हैं. इस दिन सिद्ध योग प्रातःकाल से लेकर सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक है. उसके बाद से साध्य योग लग रहा है, जो अगले दिन सुबह 09 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. ये दोनों ही योग शुभ हैं.
लाभ उन्नति का शुभ समय
शुक्र प्रदोष वाले दिन शाम 07 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक रात्रि चैघड़िया का लाभ उन्नति मुहूर्त है. ऐसे में आप देखें तो जो प्रदोष पूजा का शुभ समय है, उसमें भी लाभ उन्नति मुहूर्त शामिल है.
इस बार आप शुक्रवार प्रदोष व्रत रखते हैं और शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं तो आपको सुख, समृद्धि की प्राप्त होगी और आपकी उन्नति भी होगी.