देश के राज्यों के 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरो एवं अभियन्ताओ के साथ उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में आज राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं जिससे देश भर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।
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निजीकरण के उद्देश्य से लाये गए इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल-2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट को निरस्त करने एवं अन्य मांगों को लेकर आज 26 नवम्बर को राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन सहित सभी जिला मुख्यालयों एवं परियोजनाओं पर बिजलीकर्मी सायं 03 बजे से 05 बजे तक विरोध सभाएं व प्रदर्शन करेंगे।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजली कर्मी अपने विरोध में उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से सहयोग करने की अपील कर रहे हैं जिन्हे निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान होने जा रहा है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉकुमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी।
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वर्तमान में बिजली की लागत लगभग रु 07.90 प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने का अधिकार होगा जिसका अर्थ यह हुआ कि 10 रु प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी।
उन्होंने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे।