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किसानों से जुड़े तीन विधेयकों को सदन में पेश करेगी केंद्र सरकार

तीन श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी Three Labor Reform Bills approved

तीन श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी

नई दिल्ली। राज्यसभा में रविवार का दिन खासा महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि केंद्र सरकार की तरफ से किसानों से जुड़े तीन विधेयकों को सदन में पेश किया जाना है। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष इसे राज्यसभा में रोकने का भरपूर प्रयास करता हुआ नजर आ सकता है। दूसरी तरफ, सरकार ने भी विधेयकों को पास कराने के लिए अपनी पूरी तैयार कर ली है।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार इन विधेयकों को सदन में पास कराने के लिए विपक्षी पार्टियों को भी अपने खेमे में करने में जुट गई है। बताया गया है कि सरकार विधेयकों को लेकर शिवसेना और एनसीपी के साथ संपर्क में है। दोनों ही पार्टियों का इन विधेयकों से जुड़ी शंकाओं को दूर किया जा रहा है।

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गौरतलब है कि इन विधेयकों को लोकसभा में पारित करा लिया गया था, क्योंकि सरकार के पास बहुमत था। वहीं, लंबे समय से एनडीए की सहयोगी रहे अकाली दल ने इसका विरोध किया। विधेयकों के विरोध में हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इन विधेयकों को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं, खासतौर पर पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में।

राज्यसभा में बीजेडी के 9, एआईएडीएमके के 9, टीआरएस के 7 वाईएसआर कांग्रेस के 6 और टीडीपी के 1 सदस्य हैं। गौरतलब है कि इन पार्टियों द्वारा अक्सर ही सरकार को सदन में समर्थन दिया जाता रहा है, इसलिए सरकार को यकीन है कि इस बार भी इनसे समर्थन हासिल हो सकता है।

राज्यसभा में कांग्रेस के 40 सांसद हैं और वह सदन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस की तरफ से लगातार इस बिल का विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए में अन्य पार्टियों के सदस्यों और टीएमसी के सांसदों को मिलाकर विपक्ष के पास संख्याबल 85 के करीब है। इनमें एनसीपी के चार और शिवसेना के तीन सांसद भी हैं, जिनसे सरकार ने भी संपर्क किया है।

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वहीं, राज्यसभा के 10 सांसद कोरोना संक्रमित हैं और कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे। इसमें भाजपा, कांग्रेस आदि के सांसद शामिल हैं। दूसरी तरफ, अलग-अलग पार्टियों के 15 सांसद इस सत्र में भाग नहीं ले रहे हैं। इसे देखते हुए इन विधेयकों को पारित कराने में सरकार को खासा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। विपक्ष की तरफ से इन विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग है, अगर सरकार बहुमत जुटाने में नाकामयाब रहती है तो विपक्ष की मांग सरकार को माननी पड़ सकती है।

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