26 दिसंबर को इस साल की आखिरी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी का व्रत विष्णु भगवान को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि सफला एकादशी (Saphala Ekadashi ) का व्रत रखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है एवं सभी कार्यों में सफलता मिलती है। पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि सफला एकादशी कहलाएगी। आइए जानते हैं सफला एकादशी का पूजा मुहूर्त, विधि, मंत्र व भोग-
सुबह से लेकर शाम तक इन मुहूर्त में करें पूजा
शुभ – उत्तम 07:12 ए एम से 08:30 ए एम
चर – सामान्य 11:04 ए एम से 12:22 पी एम
लाभ – उन्नति 12:22 पी एम से 01:39 पी एम
अमृत – सर्वोत्तम 01:39 पी एम से 02:57 पी एम
शुभ – उत्तम 04:14 पी एम से 05:32 पी एम वार वेला
अमृत – सर्वोत्तम 05:32 पी एम से 07:14 पी एम
चर – सामान्य 07:14 पी एम से 08:57 पी एम
लाभ – उन्नति 12:22 ए एम से 02:05 ए एम, दिसम्बर 27 काल रात्रि
शुभ – उत्तम 03:47 ए एम से 05:30 ए एम, दिसम्बर 27
अमृत – सर्वोत्तम 05:30 ए एम से 07:12 ए एम, दिसम्बर 27
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi ) शुभ मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, 25 दिसम्बर के दिन 10:29 पी एम से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी, जो 27 दिसम्बर के दिन 12:43 ए एम मिनट तक रहेगी। उदया तिथि की मानें तो सफला एकादशी (Saphala Ekadashi ) दिसम्बर 26, 2024 को मनाई जाएगी। 27 दिसम्बर को व्रत तोड़ने का समय सुबह 07:12 से 09:16 ए एम तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय दिसम्बर 28 को 02:26 ए एम रहेगा।
ब्रह्म मुहूर्त- 05:23 ए एम से 06:17 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:50 ए एम से 07:12 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:01 पी एम से 12:43 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:05 पी एम से 02:47 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:29 पी एम से 05:57 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:32 पी एम से 06:54 पी एम
अमृत काल- 08:20 ए एम से 10:07 ए एम
निशिता मुहूर्त- 11:55 पी एम से 12:49 ए एम, दिसम्बर 27
मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः, ॐ विष्णवे नमः
सफला एकादशी (Saphala Ekadashi ) पूजा-विधि
स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
सफला एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
अंत में क्षमा प्रार्थना करें
भोग: फल- केला, सूखे मेवे तथा पीले मिष्ठान के साथ खीर का भोग लगा सकते हैं।