लखनऊ। 40 वर्षों से आकाशवाणी पर गूंजने वाली पारम्परिक संस्कार गीतों की आवाज आज खामोश हो गयी। वरिष्ठ लोकगायिका आरती पाण्डेय का रविवार को निधन हो गया। कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद से वे बीमार हुईं।
पिछले 15 दिन से निमोनिया के चलते वे श्वसन में अवरोध की समस्या का सामना कर रही थीं। रविवार को बैकुण्ठधाम में उनका अन्तिम संस्कार हुआ। ज्येष्ठ पुत्र आशीष ने मुखाग्नि दी। 73 वर्षीय पाण्डेय अपने पीछे तीन पुत्र-पुत्र वधुएं, पौत्र-पौत्रियों से भरा-पूरा संयुक्त परिवार छोड़ गई हैं।
वे संस्कार भारती-जानकीपुरम की अध्यक्ष, लोक संस्कृति शोध संस्थान व अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास की संरक्षक थीं। हाल ही में अवधी-भोजपुरी समरसता मंच की अध्यक्ष चुनी गई थीं। शारदा सिन्हा, अनूप जलोटा, मालिनी अवस्थी, माधुरी शर्मा जैसे कलाकारों के साथ उनकी कई प्रस्तुतियां देश के विभिन्न भागों में हुई थीं।
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लुप्तप्राय अवधी लोकगीतों के संरक्षण के लिए आकाशवाणी द्वारा निर्मित व प्रसारित लोक धरोहर धारावाहिक के शोध, संकलन व गायन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1993 में टी सीरीज द्वारा बनाये उनके गीतों के एलबम मोर टिकुलिया चमके को अपार ख्याति मिली थी। अभी हाल ही में लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा विवाह संस्कार के पारम्परिक भोजपुरी गीतों की उनकी कृति मड़वे में बिराजे जुगल जोड़ी का प्रकाशन किया गया था।
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उनके निधन पर वरिष्ठ लोकगायिका मालिनी अवस्थी, प्रो. कमला श्रीवास्तव, डा. विद्या विन्दु सिंह, डॉ. रामबहादुर मिश्र, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अच्छेलाल सोनी, डा. पूर्णिमा पांडेय, उ.प्र.हिन्दी संस्थान की सम्पादक डा. अमिता दुबे, आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिशासी अनामिका श्रीवास्तव, डा. सुशील कुमार राय, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय, दिग्विजय मिश्र, डी.पी.दुबे, राधेश्याम पांडेय, दशरथ महतो, अखिलेश द्विवेदी, अवधी भोजपुरी समरसता मंच की कुसुम वर्मा, संस्कार भारती-जानकीपुरम की रीता श्रीवास्तव सभी ने गहरा शोक जताया है।