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कोरोना संक्रमण केे इलाज का खर्च बेकाबू, सरकार बेबस, मरीज लाचार

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कोरोना

दिल्ली : रोहिणी, पंजाबी बाग, तिलक नगर, मालवीय नगर, साकेत, छतरपुर स्थित कई इलाकों में लोग इनदिनों होम केयर सेवा ले रहे हैं। दिल्ली में लगभग सभी बड़े प्राइवेट अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों को होम केयर सुविधा दे रहे हैं जिसकी मौजूदा कीमतें काफी ज्यादा हैं। इनमें मैक्स, अपोलो, फोर्टिस,मेदांता, अपोलो भी शामिल हैं। इन पर सरकार की ओर से भी कोई नियंत्रण नहीं है। यह स्थिति तब है जब दिल्ली के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और आईसीएमआर के वैज्ञानिक कोरोना संक्रमण के हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों को सिर्फ आइसोलेशन पर ही जोर देने की सलाह दे रहे हैं।

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मोबाइल पर आ रहा ऑफर, वीडियो में कई दावा

निजी अस्पतालों की ओर से मोबाइल पर तरह तरह के ऑफर दिए जा रहे हैं। इनमें कई निजी लैब भी शामिल हैं जो कोरोना संक्रमण का पता लगने के लिए एंटीबॉडी जांच के लिए लोगों को लुभावने ऑफर दे रही हैं। जबकि नियमों के अनुसार एंटीबॉडी जांच का मतलब मरीज के उपचार से कतई नहीं है। इतना ही नहीं कई तरह की वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही हैं जिसमें कुछ मरीज अपने अनुभव साझा करते हुए इस सुविधा को सर्वश्रेष्ठ बता रहे हैं। इन्हीं वीडियो के बाद लोग भी संपर्क कर रहे हैं।

पैकेज लेने के बाद ऐसे बढ़ता है बिल

पड़ताल के दौरान पता चला कि अगर मरीज को फ्लू या वायरल होता है तो वह कोविड की आशंका को लेकर होम केयर सुविधा देने वालों से संपर्क करता है। यहां उसे सबसे पहले  2400 रुपये देकर कोविड टेस्ट की सलाह दी जाती है। रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद उसे पैकेज खरीदने के लिए कहा जाता है जिसकी कीमत 25 हजार रुपये तक है। यह पैकेज पूरे 14 दिन के लिए होता है। इसके बाद ऑनलाइन डॉक्टर से परामर्श दिलाई जाती है और डॉक्टर मरीजों को रेमडेसिविर, फेविपिरावीर और इवरमेक्टिन जैसी दवाओं को लेने की सलाह दे रहे हैं जोकि वैज्ञानिक तौर पर अब तक असरदार साबित नहीं हुई हैं। इसके बाद 5 हजार रुपये का ब्लड टेस्ट होता है। फिर 800 से 1 हजार रुपये का चेस्ट एक्सरे भी कराया जाता है। इसके दो दिन बाद चेस्ट सीटी, फिर से ब्लड टेस्ट और फिर अंतिम दिनों में एक और ब्लड टेस्ट कराया जाता है। इसमें एलएफटी, सीबीसी विडाल, विटामिन सहित तमाम टेस्ट किए जाते हैं।

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दिल्ली एम्स में कई केस

दिल्ली एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि इस समय ऐसी शिकायतें मिल रही हैं जिसमें होम आइसोलेशन में मौजूद एक मरीज को तीन तीन दवाओं का सेवन करने के लिए फिजिशियन कह रहे हैं। यह एकदम गलत प्रैक्टिस है। डॉ. विजय हाडा का कहना है कि अगर किसी में कोरोना के लक्षण नहीं है तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। अगर किसी को माइल्ड यानि हल्का लक्षण है तो उन्हें सतर्कता की जरूरत है न कि सीटी और एक्सरे की। देश में अभी भी 80 फीसदी मरीज बिना लक्षण या माइल्ड मिल रहे हैं। इन मरीजों को सिर्फ और सिर्फ 14 दिन के आइसोलेशन के नियमों का पालन करना चाहिए।

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