रायपुर। छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdev) ने बीते शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया था। सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पन्नों की चिट्ठी लिखकर विभाग में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। बताया जा रहा है कि सिंहदेव के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में एक बार फिर अंदरूनी कलह शुरू हो गई है। वहीं सीएम बघेल (CM Baghel) ने भी सिंहदेव से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि उन्होंने शनिवार देर रात कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव से फोन पर बात करने की कोशिशि की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया है।
शनिवार की शाम छह बजे दिए अपने इस्तीफे में पूर्व पंचायत मंत्री ने दावा किया कि मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के तहत सचिवों की एक कमेटी का गठन कर दिया था, जो विभाग में मनमानी कर रहे थे। इस कमेटी की ओर से ही सभी प्रोजेक्ट्स को फाइनल अप्रूवल दिया जा रहा था।
“प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के आवासविहीन लोगों को आवास उपलब्ध कराया जाना था, जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा की और बजट के लिए अनुरोध किया, लेकिन योजना के लिए राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। इस प्रकार राज्य के 8 लाख लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका। इससे राज्य की करीब 10 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था में सुधार होता। उल्लेखनीय है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी घर का निर्माण नहीं हो सका। ”
‘500 करोड़ से ज्यादा का काम नहीं हुआ’
“मंत्री की स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव की समिति द्वारा अंतिम निर्णय लेने के लिए एक प्रक्रिया की गई, जो प्रोटोकॉल के विपरीत है। मैंने समय-समय पर इसको लेकर लिखित में आपत्ति दर्ज की, लेकिन आज तक इस प्रणाली में सुधार नहीं हुआ। जिसकी वजह से मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधियों के सुझाव के अनुसार, 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का विकासकार्य नहीं हो सका। वर्तमान में भी पंचायतों में कई विकास कार्य शुरू नहीं हुए हैं।”
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इस्तीफे में टीएस सिंह ने जो लिखा, वो बताता है कि अभी राज्य इकाई में अंतर्कलह शांत नहीं हुई है। ये समय के साथ-साथ बढ़ती जा रही है। राज्य के दो दिग्गजों के बीच बढ़ती कलह कांग्रेस आलाकमान द्वारा भी सुलझाई नहीं गई है। सूत्रों का यह भी कहना है कि टीएस सिंहदेव राज्य के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और इसके लिए वो राहुल और प्रियंका गांधी के साथ कई बार बैठकें कर चुके हैं। बीते साल अपनी बात मनवाने के लिए टीएस सिंह ने अपने विधायकों की दिल्ली में परेड भी करवा दी। हालांकि कोई सहमति नहीं बन पाई। दुर्भाग्य से आखिर में सबसे ज्यादा राज्य के लोग हार जाते हैं क्योंकि सभी नुकसान उनके ही हैं।