काबुल। अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने रविवार को उस आदेश को लागू कर दिया है जिसमें कहा गया है कि देश की सभी महिला टीवी एंकरों (TV anchor) को ऑन-एयर होने के दौरान अपना चेहरा ढंकना जरूरी है। मानवाधिकार आयोग के कार्यकर्ताओं ने तालिबान के इस आदेश की निंदा की है। बता दें कि तीन दिन पहले तालिबान ने आदेश दिया था कि महिला एंकर (TV anchor) चेहरा ढंककर खबर पढ़ें। इस आदेश के बाद कुछ महिला टीवी एंकर (TV anchor) चेहरा ढंककर खबर पढ़ती नजर आईं थीं।
गुरुवार को आदेश की घोषणा के बाद कुछ नाम मात्र के मीडिया संस्थानों ने इसका पालन किया लेकिन रविवार को तालिबान की ओर से इस आदेश को सख्ती से लागू कर दिया गया। इसके बाद ज्यादातर मीडिया संस्थानों में महिला टीवी एंकर्स अपने चेहरे को ढंककर खबर पढ़ते देखा गया।
TOLOnews की एक टीवी एंकर (TV anchor) सोनिया नियाजी ने कहा, “यह सिर्फ एक बाहरी संस्कृति है, जो हम पर थोपी गई है, जो हमें चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करती है। उन्होंने कहा कि इससे प्रोग्राम के दौरान हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
फरमान को मानने के लिए किया गया मजबूर
एक स्थानीय मीडिया संस्थान की ओर से कहा गया कि उन्हें पिछले हफ्ते आदेश मिला था, लेकिन रविवार को इस आदेश को लागू करने के लिए मजबूर किया गया। बता दें कि इससे पहले भी तालिबानी शासकों ने महिलाओं को लेकर कई प्रतिबंध लगा चुका है। 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार ने महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए थे जिनमें बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। साथ ही उन्हें सार्वजनिक जीवन से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
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अगस्त 2021 में एक बार फिर से सत्ता में वापसी के बाद तालिबान ने शुरू में अपने प्रतिबंधों को कुछ हद तक कम कर दिया था। महिलाओं के लिए किसी भी तरह के ड्रेस कोड की व्यवस्था नहीं की गई थी लेकिन हाल के कुछ हफ्तों में तालिबानी शासकों की ओर से एक के बाद एक प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।
महिलाओं के प्रति फरमान को लेकर कुख्यात रहा है तालिबान
इस महीने की शुरुआत में तालिबान ने सार्वजनिक रूप से सभी महिलाओं को सिर से पांव तक कपड़े पहनने का आदेश दिया था और कहा था कि सिर्फ आंखें दिखनी चाहिए। इसके अलावा एक अन्य आदेश में कहा गया था कि महिलाओं को आवश्यक होने पर ही घर छोड़ना चाहिए और पुरुष रिश्तेदारों को महिलाओं के ड्रेस कोड के उल्लंघन के लिए सजा का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा छठी क्लास के बाद लड़कियों को स्कूल जाने से रोक दिया गया है।