प्रयागराज। आपने दोस्ती (Friendship) की कई मिसालें सुनी और किताबों में पढ़ी होंगी, लेकिन संगम नगरी प्रयागराज में दोस्ती की ऐसी मिसाल देखने को मिली है, जिसे देखकर लोग हैरान हैं। मामला थरवई के आदमपुर उपड़ौडा गांव का है, जिसमें फ़िल्म शोले का गाना- ‘ये दोस्ती हम नही छोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे’ को हकीकत में बदल डाला है।
दोनों दोस्त (Friends) एक साथ दुनिया से विदा हो गए और छोड़ गए दोस्ती की अनोखी मिसाल और दोस्ती की कहानियां। ये यह कहानी आपको फिल्मी लग रही होगी लेकिन यह रील नहीं बल्कि रियल लाइफ की कहानी है, जहां 70 साल के मसूरिया दीन यादव और उसी उम्र के समकक्ष रामकृपाल की बचपन से गहरी दोस्ती थी।
बचपन से ही दोनों दोस्त (Friends) एक साथ रहते थे। दोनों साथ रहकर घूमते, फिरते-उठते-बैठते और साथ जाते थे, वक्त के साथ दोनों दोस्त बड़े हुए और उन दोनों की शादी भी हो गई। समय के साथ उनका परिवार बढ़ने लगा लेकिन उनकी दोस्ती में दूरियां कभी नहीं आई। दोनों एक दूसरे का सुख-दुख बांटते रहते। किसी भी हाल में दोनों दोस्त अलग नहीं हुए।
गुरुवार को किसी बीमारी की वजह से मसूरिया दीन की अचानक मौत हो गई। इसकी जानकारी जब दूसरे दोस्त रामकृपाल को हुई तो वह परेशान हो गया और उसके अंतिम दर्शन के लिए उसके घर पहुंच गया। जैसे ही रामकृपाल ने अपने सबसे अज़ीज़ दोस्त मसूरिया दीन के चेहरे से चादर उठाई तो रामकृपाल ज़ोर ज़ोर से रोने लगा।
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रामकृपाल ने बोला- दोस्त हमको भी अपने साथ ले चलो, रामकृपाल की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे, तभी भगवान से हाथ उठाकर कहा कि मेरे दोस्त के साथ मुझे भी उठा लो। यह कहते हैं कि रामकृपाल बेसुध होकर वहीं गिर पड़ा, जब तक लोग कुछ समझ पाते और उसके पास पहुंचते तब तक उसकी भी सांसे थम गई।
यह देखकर लोग हैरान हो गए। जानकारी मिलने पर उसके घर में भी रोना पीटना मच गया। दोनों दोस्तों के शवों को परिवार वालो ने अंतिम संस्कार करा दिया है। दोनों दोस्तो का एक साथ जीना और एक साथ यूं चले जाना पूरे गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है।