जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High court) ने सिरोही के आबूरोड में रेलवे की ओर से सन् 1862 से चलाए जा रहे सीनियर सैकण्डरी स्कूल (School) को बंद करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
अदालत (high court) ने कहा कि यह बड़ा दुखदायी है कि एक शताब्दी से चल रहे स्कूल को बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन ऐसे भावुक मामलों में कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है। रेलवे इस स्कूल का संचालन करता है, इसलिए वह इसके भविष्य को तय कर सकता है।
अदालत ने कहा की वह बडे भारी मन से इस याचिका को खारिज कर रहे है। वहीं अदालत ने मामले में सितंबर 2020 में दिए यथा-स्थिति के आदेश को भी हटा लिया है। सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश अरविन्द शर्मा की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि स्कूल को बंद करने का निर्णय वर्तमान शैक्षणिक सत्र के अंत तक लागू नहीं किया जाए। इसके अलावा स्कूल प्रशासन यहां से 11वीं पास करने वाले विद्यार्थियों को दूसरे स्कूल की कक्षा 12 में प्रवेश दिलाने के लिए उचित व्यवस्था करे। अदालत ने कहा कि जब तक सरकार का निर्णय दोषपूर्ण या किसी कानूनी प्रावधान के विपरीत ना हो, तब तक कोर्ट सरकार के निर्णय पर अपना आदेश नहीं थोप सकता।
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जनहित याचिका में कहा गया था कि आबू रोड के इस पूरे जनजाति क्षेत्र में सिर्फ दो पब्लिक स्कूल हैं। इनमें से एक राज्य सरकार चलाती है और दूसरे रेलवे प्रशासन संचालित करता है। रेलवे इस स्कूल को सन् 1862 से संचालित कर रहा है। यहां निचले तबके के परिवारों के बच्चे एक शताब्दी से अधिक समय से पढने आ रहे हैं, लेकिन अब इसे बंद करने का निर्णय लिया गया है। याचिका में कहा गया कि रेलवे ने कुछ सालों पहले यहां पचास लाख रुपए लगाकर इसका नवीनीकरण कराया था।
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वहीं नोर्थ-वेस्ट रेलवे के प्रधान कार्यालय ने तीस जुलाई 2020 को इसे बंद करने का निर्णय कर चार सितंबर को सभी विद्यार्थियों को टीसी जारी करने का निर्णय लिया। रेलवे इस जमीन का व्यावसायिक उपयोग करना चाहती है। इसलिए इसे बंद करने का निर्णय लिया है।
इसके जवाब में रेलवे की ओर से कहा गया कि पिछले कुछ सालों से यहां विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। ऐसे में इसके संचालन में भारी लागत आ रही है। इसलिए इसे बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अपनी भावनाएं जताते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया।