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अनोखा प्रयास : सिर्फ संस्कृत में ही, अदालत में देते हैं दलील, जानें क्या है वजह?

Desk by Desk
04/09/2020
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, वाराणसी
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सिर्फ संस्कृत में ही दलील Plea in sanskrit only

सिर्फ संस्कृत में ही दलील

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वाराणसी। देववाणी संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है, लेकिन आज दुनिया के बदलते परिवेश में संस्कृत भाषा की पहचान सिमटती ही चली जा रही है। संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में इसकी पहचान सबसे कम बोली जाने वाली भाषा के रूप में है । संस्कृत भाषा को फिर से बोलचाल की भाषा बनाने के लिए काशी के एक वरिष्ठ वकील ने पिछले 42 सालों से अनोखी मुहिम छेड़ रखी है।

वाराणसी के आचार्य श्याम उपाध्याय शायद देश के पहले ऐसे वकील हैं, जो न्यायलय के सारे कामकाज में संस्कृत भाषा का प्रयोग करते हैं। यह सिलसिला 1978 में शुरू किया था। पत्र लिखने से लेकर कोर्ट में जज के सामने बहस तक का काम वह संस्कृत में करते हैं।

आचार्य श्याम उपाध्याय ने बताया कि बचपन में पिता ने बताया था कि कचहरी में सारा कामकाज हिंदी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा में होता है। संस्कृत का प्रयोग नहीं होता। तभी मैंने अपने मन में ये ठान लिया कि मैं वकील बनूंगा और कचहरी का सारा कामकाज इसी भाषा में करूंगा। 1978 से मैंने कचहरी में हजारों मुकदमे संस्कृत भाषा में ही लड़े हैं और सफलता हासिल की है।

आचार्य श्याम उपाध्याय ने बताया कि जब शुरुआती दौर में वह मुवक्किल के कागजात संस्कृत में लिखकर जज के सामने रखते थे। तो जज भी हैरत में पड़ जाया करते थे। आज भी जब वाराणसी के न्यायालय में कोई नए जज आते हैं तो वह भी हैरत में पड़ जाते हैं।

आचार्य श्याम उपाध्याय ने बताया कि मुकदमे में बहस के दौरान वह कोर्ट में संस्कृत भाषा का प्रयोग करते हैं। ऐसे में जज अनुवादक की मदद से मेरी कोर्ट में रखी गई दलीलों को सुनते हैं।

वर्तमान दौर में संस्कृत भाषा को फिर से लोगों के बीच आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए उनकी मुहिम जारी है। इसी का नतीजा है कि वह कोर्ट रूम से लेकर बेडरूम तक सिर्फ और सिर्फ संस्कृत भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं।

Tags: give arguments in courtknow what is the reasonPlea in sanskrit onlyUnique AttemptUnique Attempt: Only in Sanskritअदालत में देते हैं दलीलअनोखा प्रयासजानें क्या है वजह?सिर्फ संस्कृत में हीसिर्फ संस्कृत में ही दलील
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