प्रयागराज। UP Board की हाईस्कूल एवं इंटर की परीक्षाएं शनिवार को समाप्त हो गई। शुचितापूर्ण तरीके से परीक्षा कराने के मामले में इस वर्ष बोर्ड ने नया इतिहास रच दिया। बोर्ड की व्यूह रचना के सामने नकल माफिया नतमस्तक दिखे। कहीं से पेपर आऊट की घटना भी नहीं हुई है। ऐसे में पुर्नपरीक्षा भी कहीं नहीं हो रही है। इस वर्ष कुल 8,753 केन्द्रो पर परीक्षा हुई। 58,85,745 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। जिसमें से 133 छद्म परीक्षार्थियों को भी पकड़ा गया है। सभी को जेल भेजा जा चुका है।
उक्त जानकारी UP Board के सचिव दिव्य कान्त शुक्ल ने शनिवार की शाम पत्रकारों को देते हुए बताया कि इंटर रसायन शास्त्र एवं समाजशास्त्र के परचे के साथ बोर्ड की परीक्षाएं समाप्त हो गई। इंटर परीक्षा में अंतिम दिन 1,81,687 परीक्षार्थी गैरहाजिर रहे। आज कुल 21,16,095 परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचना था। परीक्षा 8,656 सेंटरों पर हुई थी। इंटर की परीक्षाएं 14 एवं हाईस्कूल की परीक्षाएं 12 दिवस चली। हाईस्कूल में 31,16,487 एवं इंटर में 27,69,258 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए थे। कुल 58,85,745 परीक्षार्थियों को लेकर शुचितापूर्ण माहौल परीक्षा कराना हर बार बोर्ड के लिए चुनौती रहता है। लेकिन इस बार परीक्षा को लेकर यूपी बोर्ड की नई रणनीति कामयाब रही है। इसकी वजह से नकल माफियाओं के मंसूबे सफल नहीं हो पाए।
उन्होंने कहा कि नकल माफियाओं ने इस बार विभिन्न स्कूलों से छद्म परीक्षार्थियों को भी काफी संख्या में फार्म भरवाया था। लेकिन बोर्ड की रणनीति में यह नकल माफिया फंस गए। परीक्षा की समाप्ति तक कुल 133 प्रॉक्सी परीक्षार्थी दबोच लिए गए। नतीजा यह रहा कि यह फर्जी परीक्षार्थी सलाखों के पीछे हैं साथ ही जहां से इन मुन्नाभाईयों को फार्म भरवाया गया है उन कालेजों को काली सूची में डालकर उनकी मान्यता वापस लेने की कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है। खास बात यह रही कि इस बार प्रश्न पत्रों को चार लेयर वाले मजबूत बंधन में रखा गया था। इसका परिणाम यह रहा कि कहीं से भी गलत प्रश्नपत्र का लिफाफा भी नहीं खुला। इसकी वजह से दोबारा परीक्षा कराने के झंझट से बोर्ड बचा और राजस्व का नुकसान नहीं हुआ। पेपर आऊट की घटना भी प्रदेश में कहीं नहीं हुई। यह भी बोर्ड के लिए पीठ थपथपाने वाली जैसी घटना रही। ऐसी घटना बोर्ड परीक्षा में होती रही है तो इस बार ऐसी घटना पर रोक लगी।
बोर्ड सचिव ने कहा कि सभी के सहयोग से ऐसा हुआ। उन्होंने कहा कि स्ट्रांगरूमों की लगातार जांच, क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिवों की सतर्कता एवं जिले के शिक्षाधिकारियों की सक्रियता से इतने अच्छे तरीके से परीक्षा संपादित हो पाई। उन्होंने कहा कि प्रशासन एवं पुलिस के सहयोग से भी परीक्षा नकल विहीन कराने में मदद मिली। शासन की मंशा के अनुरूप परीक्षा की कराने की चुनौती में हर स्तर पर सभी ने सहयोग दिया।
–सख्ती ऐसी रही कि नकल पर लगी रही लगाम
UP Board की परीक्षा में इस बार नकल पर भी लगाम रही। सामूहिक नकल की सूचना कहीं से नहीं आई। इस वर्ष मात्र 81 नकलची ही पकड़े गए। कारण यह रहा कि परीक्षाएं सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हुई। नकल माफिया यहां भी चालाकी नहीं दिखा पाए। बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि केंद्र के बाहर भी निगरानी रखी गई। किसी बाहरी आदमी को केंद्र के अंदर जाने नहीं दिया गया।
–बाह्य प्रदेश के परीक्षार्थियों पर भी रही रोक
बोर्ड ने फार्म भरवाने में सावधानी बरती। गत वर्षों में बाहर प्रदेश के बड़ी संख्या में परीक्षार्थी यहां से परीक्षा फार्म भरते थे। पश्चिम के कुछ जिलों के लिए यह व्यवसाय था। बोर्ड ने इस पर भी सख्ती से रोक लगाई। नतीजा यह रहा है कि इस बार पांच हजार से परीक्षार्थी ही बाहरी प्रदेशों के रहे जबकि गत वर्षों में इनकी संख्या 40 हजार के आसपास होती रही। सचिव ने इसे भी नई रणनीति का हिस्सा बताया। कहा कि बोर्ड ने परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही दिन से नई व्यूह रचना पर काम करना शुरू कर दिया था। उसीका नतीजा रहा है कि सब कुछ बेहतर एवं शासन की मंशा अनुरूप निपट गया।
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अंत में सचिव ने बताया कि अब मूल्यांकन की तैयारी हो रही है, जिसे 18 मार्च से कराया जायेगा। मूल्यांकन के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में कुल 257 केन्द्र निर्धारित किये गये है। मूल्यांकन में लगाये जाने वाले परीक्षकों को गहन प्रशिक्षण दिया जायेगा। बोर्ड की कोशिश यही रहेगी कि जल्दी ही परिणाम घोषित किया जायेगा। इस दौरान अपर क्षेत्रिय सचिव विभा मिश्रा सहित अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।