लखनऊ। सचिवालय में संविदाकर्मी के पद पर तैनात विशाल सैनी ने आत्महत्या के पूर्व आईपीएस प्राची सिंह को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। मृतक के कब्जे से मिले सोसाइड नोट में महिला आईपीएस पर गंभीर आरोप लगाये थे। इसके बावजूद भी पुलिस के आलाधिकारियों को महिला आईपीएस को क्लीन चिट दी है, जो कि अन्यायपूर्ण हैं। मृतक के परिजनों के प्रति पुलिस की संवेदनहीनता है। यह शब्द युवा शक्ति संगठन प्रतिनिधिमंडल ने कहे। युवा शक्ति संगठन ने उक्त प्रकरण की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने की मांग की है।
प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य गौरव सिंह ने बताया कि 13 फरवरी को इंदिरा नगर स्थित स्टाइल इन ब्यूटी स्पा में पुलिस द्वारा छापेमारी की गई थी जिसमें आईपीएस प्राची सिंह भी शामिल थीं। छापेमारी में अन्य लोगों के साथ विशाल सैनी को भी स्पा से गिरफ्तार किया गया था। ऐसा पुलिस द्वारा बताया गया था। परंतु मृतक के परिवार का कहना है कि उन्हें स्पा से गिरफ्तारी की कोई वीडियो न तो दिखाई गई और न तो पुलिस द्वारा इस छापेमारी के बाद की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने विशाल का नाम डाला था।
जिला पंचायत सदस्य पद के 400 उम्मीदवारों की पहली सूची आप ने जारी की
फिर कैसे विशाल को अभियुक्त बनाकर जेल भेजा गया। विशाल ने अपने सोसाइड नोट में पुलिस पर प्रताडऩा और आईपीएस प्राची सिंह द्वारा झूठे मुकदमे में फसाने की बात लिखकर हसनगंज रेलवे क्रॉसिंग पर कूदकर आत्महत्या कर ली।
विशाल अपने परिवार का सहारा था ,आज विशाल के परिवार वाले जिम्मेदार पुलिस के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहें है, परन्तु दुर्भाग्य है कि लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट द्वारा त्वरित जांच कर आइपीएस प्राची सिंह को क्लीन चिट दे दी गई है। इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है।
कानपुर गैंगरेप केस मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ा तीसरा आरोपी
संगठन उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करता हैं कि इस घटना को तत्काल संज्ञान में लें और स्वतंत्र एजेंसी से इस मामले की जांच कराई जाए और भी दोषी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये। मृतक के परिवार से मुलाकात में युवा शक्ति संगठन प्रनिधिमंडल से गौरव सिंह, सरफराज अहमद, अहमद खान शामिल रहे।