उत्तर प्रदेश सरकार ने खून के रिश्तों के बीच अचल संपत्ति के हस्तानान्तरण पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट देने का फैसला किया है।
मौजूदा समय में अपने रक्त संबंधो में अचल संपत्ति के हस्तानान्तरण के लिये स्टाम्प शुल्क से बचने के लिए लोग दानपत्र के स्थान पर वसीयत का सहारा लेते है। दान पत्र पर स्टाम्प एक्ट के अनुसार विक्रय पत्र (बैनामा) की भांति स्टाम्प शुल्क देय होता है, जिसका आर्थिक बोझ परिवारों पर अत्यधिक होता है, इस अत्यधिक आर्थिक बोझ से बचने के लिए लोग वसीयत का सहारा लेते है। वसीयतनामा, वसीयतकर्ता की मृत्यु के पश्चात ही प्रभावी होता है।
रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 व 18 के प्रावधानों के तहत वसीयत का निबंधन होना आवश्यक नहीं है, इस कारण से बहुधा वसीयत विवादित हो जाती है तथा संपत्ति स्वामी की मृत्यु के पश्चात अनेक विवाद पैदा होते है और समाज में विवादों के साथ साथ अपराधिक घटनाओं में भी बढ़ोतरी होती रहती है जो राम राज्य की परिकल्पना से कोसो दूर है।
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स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने गुरूवार को बताया की देश के अनेक राज्यों यथा उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब तथा महाराष्ट्र आदि के द्वारा अपने प्रदेश में प्रथम श्रेणी रक्तय सबंधियों के मध्य अचल संपत्तियों के दान विलेख पर देय स्टाम्प शुल्क में छूट प्रदान किये जाने की व्यवस्था की गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य में भी रक्त संबंधो में अचल संपत्ति के दान विलेख पर स्टाम्प शुल्क एवं निबंधन शुल्क में छूट देने से ऐसे लेखपत्र पंजीकृत कराये जायेंगे जिससे न सिर्फ समाज में विवादों में कमी होगी अपितु इससे अपराध मुक्त समाज, पारदर्शी सरकार और समाज के प्रति उत्तरदायी सरकार की अपने व्यक्तियों के प्रति उसकी कृतज्ञता का परिचायक होगी।