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उपभोक्ताओं को लगेगा ‘करंट’, गर्मी के लिए इतने रुपए यूनिट बिजली खरीदेगा UPPCL 

Electricity Bill

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लखनऊ। प्रदेश में गर्मी सीजन में बिजली संकट (Electricity  Crisis) से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत कॉरपोरेशन निजी कंपनियों से 11 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेगा। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। महंगी दर पर बिजली खरीदने का असर भविष्य में उपभोक्ताओं पर पड़ना तय है। उधर, उपभोक्ता परिषद ने महंगी दर पर बिजली खरीदने की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

गर्मी के सीजन में ज्यादा मांग को देखते हुए सभी राज्य अतिरिक्त बिजली (Electricity ) की व्यवस्था करते हैं। दो साल पहले दीर्घ कालीन योजना में आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गई। पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच करीब 26,537 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ी। चूंकि प्रदेश में करीब 26 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की व्यवस्था है, ऐसे में निजी कंपनियों से अतिरिक्त बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी।

वहीं इस वर्ष गर्मी के सीजन में करीब 28,000 मेगावाट से ऊपर मांग पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में पावर कॉर्पोरेशन ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए कॉर्पोरेशन करीब 11 रुपये की दर से बिजली खरीद रहा है। दीप पोर्टल के माध्यम से अप्रैल से सितंबर तक के लिए तीन कंपनियों को टेंडर जारी किए गए हैं।

इसमें रायपुर एनर्जी लिमिटेड से अप्रैल एवं मई के लिए 11 रुपये प्रति यूनिट की दर से 250 मेगावाट बिजली खरीदी जाएगी। इसी तरह अदाणी मुंद्रा पावर लिमिटेड से जून से सितंबर के बीच 250 मेगावाट 9.59 से 11.10 रुपये प्रति यूनिट तक और प्रयागराज स्थित पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड से 50 मेगावाट 11 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जाएगी।

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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने पावर एक्सचेंज पर 12 रुपये प्रति यूनिट की जगह छह रुपये प्रति यूनिट सीलिंग लगाने की मांग की है। उन्होंने बिजली खरीद की नीति में बदलाव की भी मांग की है ताकि महंगी दर पर बिजली न खरीदी जाए। उन्होंने बताया कि पहले पावर एक्सचेंज पर 20 रुपये प्रति यूनिट की बिजली बिक रही थी। परिषद के विरोध के बाद इसे 12 रुपये किया गया है। लेकिन यह दर भी अधिक है।

ऐसा इसलिए क्योंकि घरेलू बिजली उत्पादन की दर छह रुपये प्रति यूनिट से अधिक नहीं पड़ रही है। परिषद ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक विदेशी कोयले की खरीद नहीं हुई है, लेकिन विदेशी कोयला आधारित उत्पादन इकाइयों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है। इसका खामियाजा भविष्य में प्रदेश के उपभोक्ताओं को भुगतना पडे़गा।

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