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उत्पन्ना एकादशी के दिन इस शुभ संयोगों में करें पूजा, सुख-सौभाग्य की होगी प्राप्ति

Utpanna Ekadashi

Utpanna Ekadashi

हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का बहुत महत्व होता है। उत्पन्ना एकादशी हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस शुभ मौके पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से सीधे बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है और जन्म-जन्म के पाप मिट जाते हैं। साथ ही घर के सभी लोगों पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है।

पंचांग के मुताबिक, एकादशी तिथि 26 नवंबर की देर रात 1 बजकर 01 मिनट से शुरू होगी और 27 नवंबर की देर रात 3 बजकर 47 मिनट पर समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर को मनाई जाएगी। इसका पारण 27 नवंबर दोपहर 1 बजकर 12 बजे से लेकर 3:18 बजे तक किया जाता सकता है।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) शुभ योग

ज्योतिष के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी पर सबसे पहले प्रीति योग बन रहा है। इसके बाद आयुष्मान योग और शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इनमें लक्ष्मी नारायण जी की पूजा-आराधना करने का अलग ही महत्व है। भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान पूरी करते हैं। घर-परिवार में सुख, समृद्धि और खुशियां आती हैं।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन प्रीति योग सुबह से शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगा। उसके बाद से आयुष्मान योग बनेगा, जो अगले दिन दोपहर तक रहेगा। एकादशी तिथि में द्विपुष्कर योग 27 नवंबर को सुबह 4 बजकर 35 मिनट से सुबह 6 बजकर 54 मिनट तक है। उत्पन्ना एकादशी पर हस्त नक्षत्र सुबह से लेकर 27 नवंबर को सुबह 4 बजकर 35 मिनट तक है। उसके बाद से चित्रा नक्षत्र रहेगा।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पूजा विधि

– उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन सबसे पहले शंख बजाकर स्नान करें।
– भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनका स्मरण करें।
– भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और साफ वस्त्र पहनाएं।
– भगवान विष्णु को चंदन, रोली और अक्षत से शृंगार करें और फूल अर्पित करें।
– धूप और दीप जलाएं और भगवान को भोग लगाएं।
-भगवान की आरती उतारें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पारण समय

अगर महिलाएं 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखेंगी तो व्रत का पारण 27 नवंबर बुधवार को दोपहर में 1 बजकर 12 मिनट से 3 बजकर 18 मिनट के बीच कभी भी कर सकती हैं। उत्पन्ना एकादशी पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 10 बजकर 26 मिनट है।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का महत्व

हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी पर्व के मौके पर घर और मंदिरों में भगवान नारायण और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को गोदान के समान ही फल प्राप्त होता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान विष्णु की कृपा भक्तों पर हमेशा बनी रहती है और उनके जीवन के हर दुख दूर हो जाते हैं। इसके अलावा जीवन में कभी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

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