ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से लागू किए गए मॉडल को केंद्र सरकार ने भी अपनाया है। इस बारे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन कंटेनर्स, टैंकर्स और अन्य वाहनों में वेहिकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने के आदेश दिए हैं। इन टैंकर्स की जीपीएस के माध्यम से उचित निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि कोई डायवर्जन या विलंब तो नहीं हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की उपयोगिता बढ़ने पर तकनीकी का सहयोग लेने का आदेश दिया था, जिसके बाद अप्रैल के मध्य में ही सीएम योगी ने ‘ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर यूपी’ नामक डिजीटल प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया। यह प्लेटफॉर्म प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, परिवहन और गृह विभाग के सहयोग से तैयार किया है। इसके लिए वेब पोर्टल लिंक तैयार किया गया है, जिसे ऑक्सीजन सप्लाई चेन से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी प्रयोग करते हैं। साथ ही ऑक्सीजन टैंकर को जीपीएस आधारित प्रणाली से भी जोड़ा गया, ताकि उनकी रियल टाईम लोकेशन पता चल सके।
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इस तकनीकी का यह लाभ हुआ कि पोर्टल पर ऑक्सीजन आपूर्ति में लगे वाहनों की ऑनलाइन उपस्थिति को ट्रैक करते हुए वाहन को नजदीकी अस्पताल के लिए रवाना किया जाने लगा, इससे एक ओर संबंधित अस्पताल में ऑक्सीजन की मांग समय से पूरी हुई और संबंधित वाहन के पहुंचने में लगने वाले समय की भी बचत हुई। इन प्रयासों से प्रदेश में रोजाना आमतौर पर 350 मीट्रिक टन होने वाली ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़कर 1050 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है।
यूपी मॉडल को अन्य राज्यों ने भी किया लागू
देश के दूसरे राज्यों को भी यूपी मॉडल की जब जानकारी हुई, तो उन्होंने राज्य सरकार से संपर्क साधा। बिहार, पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र आदि ने गहरी रुचि भी दिखाई। उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन ट्रैकिंग सिस्टम को लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। कंसल्टेंटमनीष त्यागी बताते हैं कि बिहार ने हमने इस सिस्टम को लागू कर दिया है। मध्य प्रदेश में भी बातचीत अंतिम दौर में है।
‘विशेष नियंत्रण कक्ष’ बनाकर लगातार हो रही निगरानी
गृह विभाग में एक ‘विशेष नियंत्रण कक्ष’ बनाकर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के सम्बन्ध में लगातार निगरानी की जा रही है। इसमें गृह विभाग को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और परिवहन विभाग भी सहयोग कर रहा है। इन विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भी विशेष नियंत्रण कक्ष में कार्यरत हैं।