नई दिल्ली। वैक्सीन के ऑर्डर में मामले में भारत पहले नंबर पर है। एक व्यक्ति को दो डोज के हिसाब से इतनी खुराक से 80 करोड़ यानी 60 फीसद आबादी का टीकाकरण हो सकेगा। आबादी के 60 फीसद लोगों का टीकाकरण हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए पर्याप्त है। अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर ने बताया कि भारत ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी -एस्ट्राजेनेका से 50 करोड़।
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अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से एक अरब और रूस की स्पुतनिक-5 वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक का ऑर्डर दिया है। हर दो हफ्ते में अपडेट किए जाने वाले ‘लांच एंड स्केल स्पीडोमीटर’ विश्लेषण के मुताबिक, 30 नवंबर तक भारत ने तीन टीकों की 1.6 अरब खुराक के लिए सौदा पक्का कर लिया था।
यूरोपीय यूनियन ने 1.58 अरब डोज का ऑर्डर दिया
यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने छह अलग-अलग टीकों के लिए ऑर्डर दिया है। यूरोपीय यूनियन ने 1.58 अरब डोज का ऑर्डर दिया है। अमेरिका ने भी एक अरब से कुछ ज्यादा डोज के लिए सौदा पक्का किया है। कोरोना वायरस संक्रमण से अपने लोगों को बचाने के लिए सभी देश रणनीतिक मोर्चे पर पूरी तैयारी कर रहे हैं।
विश्लेषण में कहा गया है कि भारत और ब्राजील जैसे देश जहां टीका उत्पादन की क्षमता है, उन्हें सौदा करने में आसानी हो रही है। भारत ने जिन भी टीकों के लिए ऑर्डर किया है, उन सबका उत्पादन भारतीय कंपनियां कर रही हैं ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया टीकों का उत्पादन कर रहा है।
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भारत में स्पुतनिक-5 का उत्पादन डॉ. रेड्डीज की हैदराबाद प्रयोगशाला में किया जा रहा है।इस बीच, भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी वैक्सीन का भी तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है। भारत बायोटेक और जायडस कैडिला भी सालाना 40 करोड़ टीके की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे। जानकारों का कहना है कि भारत में टीके की उपलब्धता नहीं, उसके वितरण में चुनौती आ सकती है।