देहरादून। अंतरराष्ट्रीय सीमा चीन और नेपाल से सटे उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव न केवल पहले की तरह गुलजार होंगे बल्कि उनमें खुशहाली और अपनत्व की बयार भी बहेगी। कहने का मतलब अब इन गांवों की रौनक जल्द ही लौटने वाली है। ऐसा संभव होने जा रहा है केन्द्र सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (Vibrant Village Program) योजना से।
‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (Vibrant Village Program) योजना से इन गांवों की आजीविका सुधरने के साथ ही संस्कृति संरक्षण,पर्यटन, रोजगार को बढ़ावा देकर गांवों को खुशहाल बनाया जाएगा। इससे जहां पलायन रोकने में मदद मिलेगी वहीं गांवों के खाली नहीं होने से सीमाएं भी सुरक्षित रहेंगी। इसके लिए जिला प्रशासन रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट के आते ही राज्य सरकार केन्द्र को अपनी संस्तुति के साथ प्रस्ताव भेज देगा।
उत्तराखंड की चीन और नेपाल से लगभग 675 किलोमीटर सीमा सटी है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से से लगे गांवों में बढ़ते पलायन को लेकर केन्द्र सरकार सुरक्षा की ओर से ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (Vibrant Village Program) देश भर के ऐसे बॉर्डर यानी सीमावर्ती गांवों के लिए लायी इहै। सीमांत गांवों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के साथ ही संचार कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के विस्तार और आजीविका विकास पर मुख्य रूप फोकस किया जा रहा है।
ग्रामीणों को ग्रीष्मकाल में मूल गांवों में वापस लौटने पर घर ठीक करने और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर है। स्थानीय युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही आंचलिक लोकसंस्कृति और पर्व-त्योहारों के संरक्षण के मद्देनजर गांवों को प्रोत्साहन देने का काम किया जा रहा है।
इसके पहले कदम के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार्डर यानी सीमावर्ती अंतिम गांव को प्रथम गांव का दर्जा दिया है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर प्रदेश में अभी तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया मार्च माह में मलारी गांव चमोली में उत्तरकाशी, केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री, जी. किशन रेड्डी अप्रैल में भटवाड़ी ब्लाक उत्तरकाशी के सीमांत गांवों का प्रवास कर चुके हैं। इस दौरान इन केन्द्रीय मंत्रियों ने इन गांवों की समस्याओं, संस्कृति और रोजगार की समस्या को समझा और इनके विकास के लिए राज्य सरकार को कई सुझाव भी दिये हैं।
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इस बाबत अपर सचिव ग्राम्य विकास और नोडल अधिकारी ‘वाइब्रेंट विलेज’ निकिता खंडेलवाल ने बताया कि उत्तराखंड के तीन जनपदों में कुल 51 गांव चिन्हित किए गए हैं। ये जिले गढ़वाल से चमोली और उत्तरकाशी, कुमाऊं के पिथौरागढ़ के गांवों को चिन्हित किया गया है। सीमांत गांवों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार से 02 मई को एक्शन प्लान बनाने के लिए बॉर्डर आउटलाइन प्लान मिले हैं। इसके तहत जिला प्रशासन एक सप्ताह में प्लान तैयार कर देंगे। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव की ओर से निर्देश आए हैं कि एक सप्ताह होने के बाद राज्य स्तर पर प्लान को तैयार किया जाएगा। इसके बाद एक महीने में इसको केन्द्र को भेजा जाएगा। केन्द्रीय मंत्रियों ने भी इन गांवों का प्रवास किया है और यहां के विकास के लिए राज्य को सुझाव भी दिये हैं। इनके सुझावों को राज्य के विभिन्न विभागों को भेजा गया है और विभाग भी कार्य कर रहे हैं। जो प्लान में शामिल हो सकता है, उसे अवश्य शामिल कर भेजा जाएगा।
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उन्होंने बताया कि बॉर्डर यानी सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में कैसे सुधार लाया जा सके और उनके मूल स्थानों में रहने के लिए उन्हें कैसे प्रोत्साहित और खुशहाल बनाने के साथ रोजगार से जोड़ा जाए, जिससे इन गांवों से पलायन को रोका जा सके। जब गांवों का विकास होगा तो निश्चित तौर पर पलायन रुकेगा और सीमावर्ती वाले ये गांव हर तरह से सक्षम भी होंगे।