नयी दिल्ली। पुलिस मुठभेड़ में गैंगस्टर विकास दुबे के मारे जाने और इससे पहले कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के नरसंहार की घटनाओं की जांच के लिये गठित जांच आयोग के अध्यक्ष शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डा बलबीर सिंह चौहान और दोनों अन्य सदस्यों के स्थान पर आयोग का पुनर्गठन करने के लिये उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को एक नयी अर्जी दायर की गयी। यह अर्जी भी अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है, जिनकी एक अर्जी न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 28 जुलाई को जांच आयोग के दो सदस्यों को बदलने के लिये दायर आवेदन खारिज करते हुए कहा था कि वह आयोग पर किसी तरह के आक्षेप लगाने की इजाजत याचिकाकर्ता को नहीं देगी।
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उपाध्याय ने अपनी नयी अर्जी में जांच आयोग का पुनर्गठन करने और इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति चौहान तथा सदस्य उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति शशि कांत अग्रवाल और उप्र के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता को बदलने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, उपाध्याय ने इस आवेदन में विकास दुबे द्वारा किये गये अपराधों तथा उसकी पुलिस और नेताओं के साथ कथित साठगांठ के आरोपों की जांच के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के पुनर्गठन का भी अनुरोध किया है।
न्यायालय ने कुख्यात अपराधी विकास दुबे मुठभेड़ कांड और पुलिसकर्मियों के नरसंहार की घटनाओं की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग से उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता को हटाने से इंकार करते हुए 28 जुलाई को इस संबंध में दायर आवेदन खारिज कर दिये थे।
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शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को अपने आदेश में कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों के मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को मंजूरी दी थी। न्यायालय ने कहा था कि जांच आयोग एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू करके इसे दो महीने में पूरा करेगा।
कानपुर के चौबेपुर थाना के अंतर्गत बिकरू गांव में तीन जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर किये गये हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे। विकास दुबे 10 जुलाई को मुठभेड़ में उस समय मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के निकट भौती गांव इलाके में कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया। दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके पांच कथित सहयोगी भी मारे गये थे।