नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को लोकसभा चुनाव के दौरान हुई गड़बड़ी को लेकर कहा, चुनाव के दौरान बोगस वोटिंग और बूथ कैप्चरिंग को कड़ाई से रोका जाना चाहिए। लोकतंत्र में चुनाव आम जनता की राय को दिखाते हैं।
दरअसल झारखंड में 1989 के लोकसभा चुनाव के दौरान गड़बड़ी करने वाले 8 आरोपियों की सजा बरकार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों पर एक पोलिंग स्टेशन के बाहर फायरिंग करने के मामले दर्ज थे। इस घटना में कई लोग घायल भी हुए थे।
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कोर्ट ने 2013 में पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज पर फैसले का हवाला देते हुए कहा, ‘लोकतंत्र को मजबूत करने में निष्पक्ष और बिना डर के चुनाव जरूरी हैं। इसके लिए वोटिंग की प्रोसेस को गोपनीय रखना जरूरी है।’
कोर्ट ने कहा, ‘वोटर को अपनी पसंद से वोट देने की पूरी आजादी देना ही चुनाव प्रक्रिया का सार है। इसीलिए, बूथ कैप्चरिंग और फर्जी वोटिंग की किसी भी कोशिश को सख्ती से नाकाम किया जाना चाहिए। इससे लोकतंत्र में कानून-व्यवस्था पर भी असर पड़ता है।’
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ये है मामला
बता दें कि आठों आरोपियों ने वोटर स्लिप देने से इनकार करने पर भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता को पीटा था। इसके बाद इन लोगों ने फायरिंग की, जिससे आस-पास मौजूद लोग घायल हो गए थे। कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया में बाधा डालने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने अपने पिछले फैसलों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि संविधान के मुताबिक, बिना डर के चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेना वोटर का अधिकार है।
ये हैं आरोपी
इस मामले के आठों आरोपी; लक्ष्मण सिंह, शिव कुमार सिंह, उपेंद्र सिंह, विजय सिंह, संजय प्रसाद सिंह, राजमणि सिंह, अयोध्या प्रसाद सिंह और रामाधार सिंह ने अपनी सजा को लेकर झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
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1999 में फैलाया था दंगा
सभी आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने जुलाई, 1999 में दंगा फैलाने और जान-बूझकर लोगों को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना था। इस मामले में उन्हें 6 महीने की सजा सुनाई गई थी। झारखंड हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2018 को आरोपियों की अपील रद्द करते हुए उनकी सजा बरकरार रखी थी।
6 महीने की सजा नाकाफी – कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि इन्हें मिली 6 महीने की सजा नाकाफी है। हालांकि, राज्य की तरफ से सजा बढ़ाने की मांग नहीं की गई, इसलिए कोर्ट ने इस पर कोई ऑर्डर पास नहीं किया। कोर्ट ने आठों दोषियों को सरेंडर करने और 6 महीने की बाकी सजा पूरी करने को कहा।