हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksh) के दौरान पितरों (Ancestors) का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। आप लोगों ने देखा होगा कि जब भी पितरों (Ancestors) का तर्पण किया जाता है, तो उन्हें अंगूठे से जल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों है और इसका कारण क्या है? चलिए हम आपको बताते हैं।
पितरों (Ancestors) को अंगूठे से जल देते हैं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों (Ancestors) को अंगूठे से जल अर्पित करने की परंपरा महाभारत-रामायण काल से शुरू हुई थी। ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ और पांडवों ने अपने परिजनों का तर्पण करते समय अंगूठे से जल दिया था। अंगूठे से पितरों को जल देने का कारण धर्म शास्त्रों में वर्णित है। धर्म शास्त्रों की मानें तो व्यक्ति के हर अंग को किसी न किसी देवता या ग्रह का अधीन माना जाता है। इस प्रकार व्यक्ति के अंगूठे में पितरों का वास माना गया है।
पितरों (Ancestors) को अंगूठे से जल देने के लाभ
महाभारत और अग्नि पुराण के मुताबिक, अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। धर्म ग्रंथों की पूजा पद्धति की मानें तो हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, उस हिस्से को पितृ तीर्थ कहते हैं। इसी वजह से अंगूठे से चढ़ाया गया जल पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक पहुंचता है और जब पिंडों पर जल गिरता है, तो तभी पितरों को भोजन मिलता है।
अगर अंगूठे से नहीं चढ़ाया जल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों (Ancestors) को अंगूठे से जल अर्पित करने को लेकर यह भी कहा जाता है कि अगर किसी दूसरी उंगली से जल चढ़ाया जाता है तो यह पितरों तक नहीं पहुंचता है। ऐसे में न तो पितरों को भोजन मिल पाता है और न ही जल, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है।









