प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह आज पीलीभीत के दौरे पर थे। मंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे राहत कार्यों को देखा और बाढ़ आने से पहले खत्म करने का आदेश दिया।
बता दें पीलीभीत में जल शक्ति मंत्री के आने की सूचना दो दिन पहले आ चुकी थी। उसके बाद से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रात भर बहुत तेजी से काम हुआ। मंत्री सबसे पहले अमरिया तहसील के नगरिया कॉलोनी में चल रहे बाढ़ राहत कार्य निर्माण को देखा। वहीं, दूसरा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट जो 12 करोड़ का है, उसको देखने के लिये पूरनपुर के गभिया गांव में शारदा किनारे पहुंचे। यह वह जगह है जहां हर साल शारदा नदी कटान करती है और गांव के गांव बह जाते हैं। हर साल बाढ़ के समय करोड़ों रुपए लगाकर काम कराया जाता है, लेकिन आज तक बाढ़ को रोकने में प्रशासन नाकामयाब रहा। विभाग द्वारा काम कराया जाता है और पैसे का बंदरबांट कर काम को बाढ़ में बहा दिखा दिया जाता है।
लेकिन इस बार 12 करोड़ की बड़ी धनराशि से काम कराया जा रहा है, लेकिन वह भी मानक के अनुरूप नहीं हो रहा है। गांव वालों की माने तो मंत्री के आने की सूचना पर यहां काम शुरू किया गया है और दो-तीन दिन से काम चल रहा है।
रात भर पत्थर डाले जाते हैं और आज जब मंत्री आए हैं तो उसके ऊपर जाल बिछा दिया गया है। बल्कि नीचे से ही जाल के अंदर पत्थर डालकर किनारे से लगाने थे लेकिन इन लोगों ने पत्थर बिछा कर ऊपर से जाल बिछा दिया। गांव के लोगों ने मंत्री से शिकायत भी की है।
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वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि यहां काम एक बाहर का बड़ा ठेकेदार करा रहा है। जिसने छोटे-छोटे ठेकेदारों को टुकड़ों में काम बांट दिया है। काम देखने न कोई कम्पनी का आदमी आता न कोई सरकारी विभाग का। ग्रामीणों ने जब जल मंत्री से शिकायत की तो मंत्री ने सभी अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि जनरेटर लगाकर रात दिन काम किया जाए और एक बोर्ड लगाया जाए, जिस पर लिखा हो किस मानक से काम हो रहा है।
ताकि गांव वालों को पता चल सके कि सरकार किस तरह का काम करा रही है। काम के दौरान मंत्री ने ड्रोन कैमरे से प्रोजेक्ट की रिकॉर्डिंग करवाई और एक-एक चीज को बारीकी से देखा।
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वहीं, पूरे मामले पर जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने साफ कहा है कि पीलीभीत में बरसात के समय देवा और शारदा नदी का कहर रहता है। जिसके चलते इस बार बाढ़ आने से पहले ही प्रदेश सरकार ने बाढ़ खंड विभाग को एक बड़ा बजट दिया है। लेकिन अब देखना यह है हर बार की तरह बजट का खेल होता है या जमीन पर कुछ काम भी होगा।