Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

भारत को सप्लाई के लिए हमारे पास वैक्सीन की सरप्लस डोज नहीं : बोरिस

pm modi, boris johnson

pm modi, boris johnson

वैश्विक महामारी से जूझ रहा ब्रिटेन अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसे में उसके पास कोरोना वैक्सीन की सरप्लस डोज नहीं है, जिसे इस स्थिति में भारत समेत किसी अन्य देश के साथ शेयर किया जा सके।

मंगलवार को डाउनिंग स्ट्रीट ने यह बात कही। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का जिक्र करते हुए ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी तरफ से भारत को 495 ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स, 120 नॉन-इनवेजिव वेंटिलेटर्स और 20 मैन्युअल वेंटिलेटर्स की सप्लाई की जा रही है। मंगलवार को सुबह ही ब्रिटेन से 95 ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स और 100 वेटिंलेटर्स की पहली खेप दिल्ली पहुंच गई।

ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने फरवरी में वादा किया था कि हम उन देशों को अपनी ओर से सप्लाई करेंगे, जिन्हें जरूरत है। हमारी ओर से उन चीजों की सप्लाई की जाएगी, जिनकी हमारे अधिकता होगी।’ ब्रिटिश पीएम के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता ब्रिटिश जनता है।

कोरोना वायरस से जंग में अखिलेश यादव ने सांसद निधि से दिए एक करोड़ रुपए

इसके चलते हमारे पास अतिरिक्त डोज नहीं हैं, लेकिन हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं। हम यह समझते हैं कि जब तक सभी लोग इस महामारी से सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई भी सेफ नहीं है। इसीलिए ब्रिटेन ने कोरोना संकट से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है और भारत को भी संबंधित उपकरणों और ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स आदि की सप्लाई की है।

इस बीच ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने बड़े पैमाने पर फंड जुटाया है ताकि भारत को मदद दी जा सके। ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर्स समेत तमाम जरूरी चीजों की सप्लाई में इसे खर्च किया जाएगा। बता दें कि अब तक ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, यूएई, सऊदी अरब समेत कई देशों ने भारत को मदद की पेशकश की है। इसके अलावा अमेरिका ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से बातचीत के बाद अपना रुख बदला है।

CM तीरथ ने 132 लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस को जिलों में किया रवाना

अमेरिका ने शुरुआत में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को तैयार करने के लिए जरूरी कच्चे माल की सप्लाई पर रोक हटाने से इनकार कर दिया था। हालांकि अब अमेरिका का कहना है कि भारत ने महामारी के शुरुआती दौर में मदद की थी, इसलिए हम भी अब उसके साथ हैं।

Exit mobile version