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विजय दशमी के दिन की जाती है शस्त्र पूजा, जानें पूजा विधि और महत्व

Writer D by Writer D
06/10/2024
in धर्म, फैशन/शैली
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Dussehra

Dussehra

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विजय दशमी यानी दशहरे (Dussehra) के दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था इसलिए हर साल विजय दशमी के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है। इस दिन शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। यानी इस दिन बंदूक से लेकर तलवार, कटार, लाठी आदि शस्त्रों की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस प्रथा के पीछे क्या वजह है।

दशहरे (Dussehra) को क्यों होती है शस्त्र पूजा?

विजय दशमी (Dussehra) के दिन शस्त्र पूजन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। जिसमे से एक कथा के अनुसार, जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता को दशानन रावण की कैद से मुक्ति दिलाने के लिए युद्ध कर रावण का वध किया था। श्री राम ने उस युद्ध पर जाने से पहले शस्त्रों की पूजा की थी।

दूसरी कथा के अनुसार, जब मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध कर बुराई का अंत किया था, उसके बाद देवताओं ने मां दुर्गा के शस्त्रों का पूजन किया था।

दशहरे (Dussehra)  के दिन शस्त्रों की पूजा करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस दिन क्षत्रिय राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए शस्त्र पूजा करते थे। युद्ध पर जाने से पहले हथियारों की पूजन किया जाता था। मान्यता है कि इस दिन युद्ध पर जाने से विजय मिलती है।

शस्त्र पूजा की विधि (Shastra Puja ki Vidhi)

विजय दशमी के दिन शस्त्र पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में सभी अस्त्र-शस्त्रों को निकाल कर एक चौकी पर साफ कपड़ों में रखे और उनपर गंगाजल छिड़कर पवित्र कर लें। इसके बाद सभी शस्त्रों पर मौली बाधें। उसके बाद सभी शस्त्रों पर तिलक लागाएं और फूल माला चढ़ाकर चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से विधि विधान के साथ पूजा करें।

शस्त्र पूजन का महत्व

विजय दशमी (Dussehra)  का पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माहिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और प्रभु श्रीराम के साथ शस्त्रो की पूजा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां और कष्ट, दरिद्रता दूर होती हैं। इसके अलावा विजय दशमी के दिन शस्त्र पूजन से शोक और भय का नाश होता है।

Tags: dussehraDussehra 2024dussehra date
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