सनातन धर्म में रत्नों (Gems) के आधार पर भी कई ज्योतिष उपाय बताए गए हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति खराब है या दशा, महादशा, योग, करण आदि के कारण कुंडली में दोष है तो रत्नों के जरिए भी उपाय कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनि, राहु, केतु की महादशा हमेशा दुख देती है, वहीं शुभ ग्रहों के अस्त होने पर भी जीवन में तकलीफ आ सकती है। इसके अलावा कुंडली में राशि स्वामी और शुभ ग्रहों के मजबूत होने पर सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आप रत्न (Gems) ज्योतिष के आधार पर भी कमजोर ग्रहों के प्रभावों को कम कर सकते हैं। यहां पंडित चंद्रशेखर मलतारे इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
मेष राशि: इस राशि के स्वामी मंगल देव हैं और शुभ रत्न मूंगा, पुखराज और माणिक हैं। इनमें कोई एक रत्न धारण कर सकते हैं।
वृषभ राशि : इस राशि के स्वामी शुक्र देव हैं और आराध्या जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा हैं। इन राशि वालों को हीरा, पन्ना और नीलम धारण करना चाहिए।
मिथुन राशि: इस राशि के स्वामी बुध देव हैं। आराध्य भगवान गणेश हैं। इन्हें पन्ना, हीरा और नीलम धारण करना चाहिए।
कर्क राशि: इस राशि के स्वामी चंद्र देव हैं। इनके लिए शुभ रत्न मोती, पुखराज और मूंगा हैं।
सिंह राशि: इस राशि के स्वामी सूर्य देव हैं। इन जातकों को माणिक, मूंगा और पुखराज धारण करना चाहिए।
कन्या राशि: इस राशि के स्वामी बुध देव हैं। शुभ रत्न पन्ना, हीरा और नीलम हैं।
तुला राशि: स्वामी शुक्र देव हैं और आराध्या जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा हैं। इन्हें रत्न हीरा, पन्ना और नीलम धारण करना चाहिए।
वृश्चिक राशि: इस राशि के स्वामी मंगल देव हैं और मूंगा, पुखराज और माणिक धारण करना चाहिए।
धनु राशि: इस राशि के आराध्य भगवान विष्णु हैं। शुभ रत्न पुखराज और माणिक हैं। धनु राशि के जातक कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए पुखराज धारण कर सकते हैं।
मकर और कुंभ राशि: इन दोनों राशियों के स्वामी शनिदेव हैं। शुभ रत्न नीलम, पन्ना और हीरा हैं। भाग्योदय के लिए नीलम रत्न धारण कर सकते हैं।
मीन राशि: राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। शुभ रत्न पुखराज और माणिक हैं।