नई दिल्ली: मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के धंधे की अंधेरी दुनिया दिखाने वाली वेबसीरीज फ्लैश इन्हीं जानवरों के खिलाफ एसीपी राधा नौटियाल की लड़ाई है। जिसमें बहुत कुछ ऐसा है जो देखने वाले को नई रोशनी देगा या फिर नजर फेर लेने को मजबूर करेगा । ”मैं चाहती हूं कि दुनिया के सारे सेक्स ट्रेफिकर्स चौपाटी में नंगे खड़े हों और मैं मशीनगन से उड़ा दूं उन्हें।”
एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट, मुंबई की एसीपी राधा नौटियाल के दिल में जब ऐसी आग धधक रही है तो आप सोच सकते हैं कि उसका गुस्सा कैसा होगा। वह क्या नहीं कहती होगी और क्या नहीं कर गुजरती होगी। इरोज नाऊ पर रिलीज हुई आठ कड़ियों की वेबसीरीज फ्लैश ऐक्शन-ड्रामा-सेक्स-ड्रग्स और गालियों से भरी हुई है। लेकिन अधिकतर हिस्से में यह हकीकत के नजदीक है क्योंकि कहानी का विषय मानव तस्करी है। जिसमें खास तौर पर लड़कियों को एक से दूसरी जगह नीलामी द्वारा बेचने के लिए ले जाया जाता है। उनके रेप होते हैं।
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फ्लैश की कहानी का विस्तार मुंबई से कोलकाता तक है। इन दो महानगरों के बीच मानव तस्करों का धंधा चलता है और कई मासूम जिंदगियां फफक-फफक कर बर्बाद होती हैं। पुलिस एक नाके पर ‘माल’ से भरा ट्रक रोकती है और अफसर बंद कंटेनर खोल कर अंदर झांकता है। फिर ट्रकवाले को इसलिए झापड़ मारता है कि जितना कहा था उससे दो गुना ले जा रहा है, कम पैसे देकर. यह पुलिस का एक चेहरा है। दूसरा चेहरा राधा नौटियाल (स्वरा भास्कर) का है। जो हर पल बेचैन है। जिसे नींद नहीं आती। जिसका अतीत धुंध भरा है। जो जान हथेली पर लेकर मानव तस्करों के पीछे लगी रहती है।
कहानी शुरू होती है जब मुंबई में एक रईस परिवार की यूएस ग्रीन कार्ड होल्डर 17 साल की जोया गुप्ता (महिमा मकवाना) को तस्कर उठा लेते हैं। उसे दर्जन भर से ज्यादा लड़कियों के साथ ट्रक में सड़क के रास्ते कोलकाता ले जाया जा रहा है। पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी या किसी लड़के के साथ भाग जाने की शिकायत दर्ज होने के बाद जब चार महीने तक वह नहीं मिलेगी तब मामला एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट के पास आएगा। ऐसा नियम है। मगर तब तक क्या से क्या हो जाएगा, कहने की जरूरत नहीं।
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फ्लैश में जैसे-जैसे मानव तस्करों की दुनिया के दरवाजे खुलते हैं, हैरान करते हैं.उनके प्रति नफरत जगाते हैं। लगता है कि नर्क कहीं है तो इन्हीं लोगों ने उसे बसाया है। राधा समाज और अपने डिपार्टमेंट में मिसफिट किरदार है। उसे यह बात परेशान करती है कि जब समाज में तमाम चीजें जानते-बूझते अपनी जगह सही-सलामत नहीं हैं तो फिर लोगों को दिखावे के लिए सब कुछ परफेक्ट क्यों चाहिए। अगर पुलिस गोली चला दे तो वजह चाहिए और सेक्स हो जाए तो प्यार चाहिए। स्वरा ने अपने रोल को शिद्दत से निभाया है और यह भूमिका सोशल मीडिया पर बन चुकी उनकी उस छवि के अनुकूल है, जिसमें वह तमाम असामाजिक बातों के विरुद्ध खड़ी, बहुतों को नाराज करती रहती हैं। फ्लैश में स्वरा को देख कर लगता है कि पिछले दिनों आई वेबसीरीज रसभरी उनसे किशोरावस्था में हुई भूल है। अतः अब आप उन्हें माफ कर सकते हैं।
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फ्लैश को बढ़िया ढंग से शूट किया गया है। इसका संपादन कसावट भरा है। धीरे-धीरे यह बात साफ हो रही है कि आने वाले दिनों में फिल्मों को वेबसीरीज से कड़ी चुनौती मिलने वाली है। दर्शक डेढ़-दो घंटे के सलमा-सितारों वाले खराब एंटरटनमेंट के बजाय छह-सात घंटे की अच्छी कहानी में अपने समय को निवेश करना बेहतर समझेंगे