• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

नवरात्रि में नौ देवियों का स्वरूप और उपासना करने से क्या-क्या मिलता है वरदान

Desk by Desk
12/10/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
0
Chaitra Navratri

Chaitra Navratri

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

धर्म डेस्क। नवरात्रि पूजन के प्रथम दिन कलश पूजा के साथ ही माँ दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है। वृषभ स्थिता इन माताजी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनंत हैं। माँ शैलपुत्री देवी पार्वती का ही स्वरूप हैं जो सहज भाव से पूजन करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी

माँ दुर्गा की नवशक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहाँ ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है और ब्रह्मचारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य है। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इन्होने हज़ारों वर्षों तक घोर तपस्या की थी। इनके एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में तप की माला है।

पूर्ण उत्साह से भरी हुई मां प्रसन्न मुद्रा में अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। इनकी पूजा से अनंत फल की प्राप्ति एवं तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम जैसे गुणों की वृद्धि होती है। इनकी उपासना से साधक को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

तृतीय चंद्रघंटा

बाघ पर सवार मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति देवी चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है,इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दस भुजाओं वाली देवी के प्रत्येक हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं, इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला सुशोभित रहती है।

इनके घंटे की सी भयानक चंडध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य राक्षस सदैव प्रकंपित रहते है। इनकी आराधना से साधकों को चिरायु,आरोग्य,सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है तथा स्वर में दिव्य,अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। प्रेत-बाधादि से ये अपने भक्तों की रक्षा करती है।

चतुर्थ कूष्माण्डा

नवरात्रि के चौथे दिन शेर पर सवार माँ के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा की जाती हैं। अपनी मंद हल्की हंसी द्वारा ब्रह्माण्ड को उत्पंन करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है।जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था,चारों ओर अंधकार ही अंधकार परिव्याप्त था,तब इन्हीं देवी ने अपने ‘ईषत’ हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी अतः यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा,आदि शक्ति हैं।इन्हीं के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं ।

अष्ट भुजाओं वाली देवी के सात हाथों में क्रमशः कमंडल,धनुष,बाण,कमलपुष्प,अमृतपूर्ण कलश,चक्र तथा गदा है।आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है।देवी कूष्मांडा अपने भक्तों को रोग,शोक और विनाश से मुक्त करके आयु,यश,बल और बुद्धि प्रदान करती हैं।

पंचम स्कंदमाता

भगवान स्कंद(कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। यह कमल के आसान पर विराजमान हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। शास्त्रानुसार सिंह पर सवार देवी अपनी ऊपर वाली दाईं भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए हुए हैं और नीचे वाली दाईं भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं।

ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होंने जगत तारण वरदमुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। स्कंदमाता की साधना से साधकों को आरोग्य,बुद्धिमता तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है।

षष्टम कात्यायनी

माँ कात्यायनी देवताओं और ऋषियों के कार्य को सिद्ध करने के लिए महर्षि कात्यान के आश्रम में प्रकट हुईं इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा।यह देवी दानवों और शत्रुओं का नाश करती है।सुसज्जित आभामंडल युक्त देवी माँ का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी है।शेर पर सवार माँ की चार भुजाएं हैं,इनके बांयें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है।

भगवान श्री कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इनकी पूजा यमुना के तट पर की थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है।इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है।

सप्तम कालरात्रि

सातवां स्वरूप है माँ कालरात्रि का,गर्दभ पर सवार माँ का वर्ण एकदम काला तथा बाल बिखरे हुए हैं,इनके गले की माला बिजली के समान चमकने वाली है। इन्हें तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली देवी बताया गया है। इनके तीन नेत्र और चार हाथ हैं जिनमें एक में तलवार है तो दूसरे में लौह अस्त्र तथा तीसरा हाथ अभय मुद्रा में है,चौथा हाथ वर मुद्रा में है।

अत्यंत भयानक रूप वाली माँ सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं।ये देवी अपने उपासकों को अकाल मृत्यु से भी बचाती हैं। इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत,प्रेत,राक्षस और सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं। माँ कालरात्रि की पूजा से ग्रह-बाधा भी दूर होती हैं।

अष्टम महागौरी

दुर्गाजी की आठवीं शक्ति महागौरी का स्वरूप अत्यंत उज्जवल और श्वेत वस्त्र धारण किए हुए है व चार भुजाधारी माँ का वाहन बैल है।अपने पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पतिरूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी,जिस कारण इनका शरीर एकदम काला पड़ गया।इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिवजी ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया तब वह विधुत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान-गौर हो उठा,तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा।

भक्तों के लिए यह देवी अन्नपूर्णा स्वरूप हैं इसलिए अष्टमी के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है।इनकी पूजा से धन,वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती हैं।उपासक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।

नवम सिद्धिदात्री

माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं । देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही समस्त शक्तियों को प्राप्त किया एवं इनकी अनुकम्पा से ही शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था।इसी कारण महादेव जगत में अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए।

कमल पर आसीन देवी के हाथों में कमल,शंख,गदा,सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं।माँ सिद्धिदात्री सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी माँ सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है । इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।भक्त इनकी पूजा से यश,बल और धन की प्राप्ति करते हैं।

Tags: navaratri 2020 datenavratrinavratri 2020navratri devi pujanavratri kab hainavratri kab se shuru haiShardiya Navratri 2020नवरात्रिनवरात्रि 2020शारदीय नवरात्रि 2020
Previous Post

पीएम मोदी के हाथों में देश पूरी तरह से सुरक्षित है : नड्डा

Next Post

प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर नवरात्र से शुरू होगा मिशन शक्ति : योगी

Desk

Desk

Related Posts

Janmashtami
धर्म

जन्माष्टमी से पहले घर ला रहे हैं कान्हा, तो पहले जान लें ये नियम

12/08/2025
CM Dhami honored women self-help groups
Main Slider

‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ को मिलेगा वैश्विक बाजार: मुख्यमंत्री

11/08/2025
Inome Tax Bill
Business

संसद में पास हुआ न्यू इनकम टैक्स बिल, आम-आदमी पर ऐसे होगा असर

11/08/2025
Rahul Gandhi
Main Slider

साइन मैं क्यों करूं मेरा डेटा थोड़ी है… ECI के नोटिस पर भड़के राहुल गांधी

11/08/2025
cm yogi
Main Slider

सपा और लोकतंत्र कभी नहीं मिल सकते… विधानसभा में दहाड़े सीएम योगी

11/08/2025
Next Post
cm yogi

प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर नवरात्र से शुरू होगा मिशन शक्ति : योगी

यह भी पढ़ें

Moscow Attack

Moscow Attack: ISIS ने ली हमले की जिम्मेदारी, सामने आईं आतंकियों की तस्वीरें

23/03/2024
eyeliner

आपकी आंखों की सुंदरता को बढ़ाता हैं आईलाइनर, जानें लगाने का सही तरीका

12/05/2024
job

Recruitment : बीटेक और एमटेक पास युवक “कोल इंडिया” में कर सकते हैं काम

04/09/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version