पंचांग के अनुसार, इस बार बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का पर्व हर साल वैशाख माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का सिर्फ जन्म ही नहीं बल्कि इसी तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के पश्चात बोधगया में बोधि वृक्ष नीचे बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ। इस दिन को वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा पर स्नान-दान के साथ महात्मा बुद्ध के शिक्षाओं के प्रसार-प्रचार का भी बहुत महत्व है।
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत रविवार, 11 मई को रात्रि 8 बजकर 1 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 12 मई को रात्रि 10 बजकर 25 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व सोमवार 12 मई को मनाया जाएगा। इस बार भगवान गौतम बुद्ध की 2587 वीं जयंती मनाई जाएगी।
बुध पूर्णिमा (Buddha Purnima) शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के दिन वरियान और रवि योग का संयोग बन रहा है। वहीं इस दिन रवि योग सुबह 5 बजकर 32 मिनट से लेकर 06 बजकर 17 मिनट तक है। इसके अलावा भद्रावास का भी संयोग है जो सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक है। मान्यता है कि इस योग में पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का महत्व
गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु के नौवें अवतार के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता के सेवा की प्रेरणा देता है। इस दिन ध्यान, साधना, और करुणा के साथ भगवान बुद्ध की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन की परेशानियों से उबरने में मदद मिलती है।