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शीतला अष्टमी कब है, जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं

Writer D by Writer D
19/03/2025
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
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Sheetala Mata

Sheetala Ashtami

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हिंदू धर्म में हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता शीतला का व्रत रखा रखा जाता है। इसे शीतला अष्टमी व्रत कहा जाता है। ये व्रत बसौड़ा भी कहलाता है। शीतला अष्टमी पर माता को बासी भोग लगया जाता है। उसी बासी भोग से व्रत का पारण भी किया जाता है। शीतला अष्टमी के दिन व्रत के साथ-साथ माता शीतला की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

धार्मिक मान्यता है कि शीतला अष्टमी का व्रत और इस दिन माता की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जीवन में खुशियां आती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी ने माता शीतला को पूरे संसार को रोगमुक्त और सेहतमंद रखने की जि्म्मेदारी दी है। इसलिए शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) के दिन माता की पूजा और व्रत करने से तमाम रोगों से मुक्ति मिल जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि शीतला अष्टमी के दिन व्रत और पूजन में विशेष सावधानी बरतते हुए नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसे मेंं आइए जानते हैं कि इस दिन क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए।

कब है शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) ?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 23 मार्च को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगा। हिंदू धर्म में उदयातिथि मान्य होती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) का व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा। वहीं 22 मार्च को शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो जाएगा। ये शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) के दिन क्या करें

इस दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
फिर पूजा स्थल की साफ सफाई करें।
इसकेे बाद माता शीतला की विधि-पूर्वक पूजा करें।
पूजा के समय उनको तिलक लगाएं।
माता को काजल, मेंहदी और वस्त्र अर्पित करें।
माता को रात में बने घी के पकवान, चले की दाल और मीठे चावलों का भोग लगाएं।
शीतला अष्टमी की कथा का पाठ करें।
आटे का दीपक जलाकर माता की आरती करें।
इस दिन होलिका दहन वाली जगह जाकर भी दीपक अवश्य जलाएं।

क्या न करें

इस दिन घर में चूल्हा न जलाएं।
इस दिन माता को ताजे भोजन का भोग न लगाएं।
इस दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार और शराब का सेवन न करें।
इन दिन नए और गहरे रंग के वस्त्र न पहनें।
इस दिन घर में झाड़ू न लगाएं। माता रुष्ठ होती हैं।
इस दिन सुई-धागे का उपयोग न करें।
इस दिन पशु-पक्षियों को परेशान न करें।

Tags: Sheetala AshtamiSheetala Ashtami 2025
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