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दुनिया के लोकतांत्रिक संस्‍थानों पर जब उठ रहे हैं सवाल, तब भारतीय संस्‍थानों को मिल रही है मजबूती: राष्‍ट्रपति

राष्‍ट्रपति President

राष्‍ट्रपति

अहमदाबाद। 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी कॉन्‍फ्रेंस (AIPO) का आयोजन गुजरात के केवाडिया में बुधवार को किया गया। इस वर्ष के कॉन्‍फ्रेंस का विषय है – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का सामंजस्यपूर्ण समन्वय – एक जीवंत लोकतंत्र की कुंजी।

कॉन्‍फ्रेंस को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित करते हुए कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि 2015 से सरकार ने हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का फैसला लिया है।
राष्‍ट्रपति ने बताया कि आज जब लोकतांत्रिक संस्‍थानों पर दुनिया भर में सवाल उठ रहे हैं। तब भारतीय संस्‍थानों को मजबूती मिल रही है। हमारे प्राचीन पुस्‍तकों में लोकतंत्र की नैतिकताओं का वर्णन है जिसे हमारे पूर्वजों ने संविधान में शामिल किया।

लोकसभा स्‍पीकर ओम बिरला ने संबोधित करते हुए कहा कि कॉन्‍फ्रेंस को संबोधित करने का सम्‍मान मुझे दिया गया। यह भूमि सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की है जिन्‍होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। इस कॉन्‍फ्रेंस की शुरुआत वर्ष 1921 में हुई थी। उन्‍होंने कहा कि हमारा मकसद जनता के हितों का संरक्षण करना है। अपनी-अपनी संस्थाओं के माध्यम से काम करने के लिए हमारे पास काफी शक्तियां उपलब्ध है। आइए इस अवसर पर हम सब नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण का संकल्प लें।’

समापन सत्र को प्रधानमंत्री करेंगे संबोधित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉन्‍फ्रेंस के समापन सत्र को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई कि मोदी 26 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए इस कॉन्‍फ्रेंस के समापन सत्र को संबोधित करेंगे। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की शुरुआत वर्ष 1921 में की गई थी।

संविधान दिवस के उत्सव और पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष को दृष्टिगत रखते हुए इस बार 80वें सम्मेलन का आयोजन 25 व 26 नवम्बर गुजरात के केवाडिया में की गई है। इस कॉन्‍फ्रेंस का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने किया। इसमें राज्यसभा के उपसभापति उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी मौजूद हैं। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित अनेक दिग्‍गज इसमे शामिल हुए।

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उल्‍लेखनीय है कि इस कॉन्‍फ्रेंस के लिए देश की सभी विधानसभाओं और विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों को आमंत्रित किया गया। इसके बाद 27 विधानसभाओं व विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों की ओर से सम्मेलन में शामिल होने की पुष्‍टि भी की गई थी। इस वर्ष पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

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