दोनों पैरों से दिव्यांग, हाथ भी ठीक से काम नहीं करते। उस दीपक को जब आज सुबह सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र की विधायक एवं प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने चलती-फिरती दुकान के साथ ही बिक्री के लिए कुछ सामान भी दिये तो उसके आंखों से आंसू छलक आये। यह सिर्फ दीपक ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर स्वाती सिंह ने अपने आवास पर आधा दर्जन से अधिक दिव्यांगों को चलती-फिरती दुकान, चालीस से ज्यादा दिव्यांगों को सर्टिफिकेट एवं कंबल वितरित किए।
आशियाना सेक्टर आई के रहने वाले दीपक ने बताया कि विकलांग पेंशन के लिए मैं अखिलेश यादव की सरकार के समय उनके पास भी गया था। स्वयं उनके हाथों में कागज देकर आया, लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबसे दीदी आईं उसी समय से हमारी पेंशन शुरू हो गयी। दीदी ने जितना दिव्यांगों की सहायता के लिए कार्य किया है, उसकी प्रशंसा के लिए शब्द कम पड़ेंगे।
दोनों नेत्रों से रोशनी गवां चुकी सोनी भी कार्यक्रम में पहुंची थी। मंत्री स्वाती सिंह ने जब उसके हाथों से अटल जी के चित्र पर माल्यार्पण कराया तो वह भावुक हो उठी। उसका कहना था कि इतना प्यार कोई नहीं दे सकता। यहां ममता झलकती है। कभी भी स्वाती सिंह में मंत्री पद का अहम देखने को नहीं मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत अटल जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। मंत्री ने दिव्यांगों को साथ लेकर अटल जी के तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर उनको याद किया। स्वाती सिंह ने कहा कि अटल जी के विजन को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगे हुए हैं।
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जहां पहले गरीबों के हक फाइलों में ही दबकर रह जाते थे, आज उन तक सारी योजनाओं का लाभ पहुंच रहा है और जिंदगी में खुशहाली आ रही है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे शरीर में प्राण है, मैं गरीब, वंचित लोगों की सेवा करती रहूंगी।
मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि हम गरीबों के साथ दूसरी पार्टियों की तरह राजनीति नहीं करते। यह हमारा सेवा भाव है। उनको सामान्य जन की तरह हर सुविधा मिले, यह हमारी पार्टी का विजन है। इसको सिर्फ चुनाव देखकर नहीं किया जाता। यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। जब देश पर कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप आया तो एक-एक भाजपा का कार्यकर्ता अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों की सेवा में जुट गया। वहीं दूसरे लोग घरों में दुबक कर ट्वीटर-ट्वीटर खेल रहे थे। उस समय तो कोई चुनाव नहीं था। हम सिर्फ सेवा भाव से कार्य में जुटे थे। हमारे लिए सेवाभाव कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा।